फैशन के स्टूडेंट ने दिखाए मोह-मोह के धागे
जाने कैसे फूल निकलते हैं, जो रूई में बदल जाते हैं।
पटना। जाने कैसे फूल निकलते हैं, जो रूई में बदल जाते हैं। उस रूई के रेशे जब आलिंगनबद्ध होते हैं तो धागे में बदल जाते हैं। धागों को करीने से सजाते-उलझाते हैं तो वे कपड़े बन जाते हैं। रंगीन, चेक वाले, सादा, प्लेन, फूलदार, छींटेदार और भी न जाने कैसे-कैसे। धागों और रंगों के रग पहचानने वाले तय करते हैं कि किस परिधान का रंग कैसा होगा। ये सबकुछ बेहद ही प्रभावशाली अंदाज में दिख रहा था निफ्ट के कार्यक्रम 'तंतु 2017' में। निफ्ट यानी राष्ट्रीय फैशन प्रौद्योगिकी संस्थान के टेक्सटाइल्स डिपार्टमेंट के छात्र-छात्राओं ने मंगलवार को 'तंतु 2017' का आयोजन में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया। सभी 37 प्रतिभागी टेक्सटाइल्स डिपार्टमेंट के पहले बैच के अंतिम वर्ष के स्टूडेंट थे। सभी के प्रदर्शन के साथ किसी न किसी कंपनी का नाम टैग था। सहायक निदेशक प्रभास झा ने कहा कि पाठ्यक्रम के तहत ये सभी स्टूडेंट चार माह के लिए विभिन्न कंपनियों के साथ मिलकर काम करते हैं और अपनी रचनात्मकता दिखाते हैं। वे बताते हैं कि कंपनी के लिए वे क्या योगदान कर सकते हैं। इसे ग्रेजुएशन प्रोजेक्ट कहा जाता है। प्राय: बेहतर प्रदर्शन के आधार पर कंपनी इसी दौरान उन्हें जॉब के लिए भी ऑफर कर देती हैं।
प्रतिभागियों ने इस दौरान हर तरह के कपड़ों पर अपनी दक्षता दिखाने की कोशिश की। चाहे वह बच्चों के परिधान हों या युवाओं के टीशर्ट हों या युवतियों के टॉप हों या फिर बाइक राइडर के परिधान हों। दरी, चादर, पर्दे, तकिया आदि पर भी अपनी कारीगरी दिखाई। निदेशक प्रो. संजय श्रीवास्तव ने कहा कि इसमें अनुसंधान आधारित (ट्रेंड रिसर्च एंड फॉरकास्ट), मार्केट स्पेसिफिक (घरेलू रिटेल और इंटरनेशनल एक्सपोर्ट्स), मूल काम (डिजाइनर के लिए डिजाइनिंग), सामाजिक केंद्रित (एनजीओ के लिए डिजाइनिंग) और ट्रेनिंग लीड (एमएसएमई प्रोजेक्ट्स) शामिल है। उन्होंने कहा कि कार्यक्रम में संस्थान के विद्यार्थी होम फर्टिविंग, एपरेल्स, कालीनों और अन्य वस्त्र आधारित उत्पादों और परियोजनाओं में अपनी क्षमता, विशेषज्ञता, अभिनव और रचनात्मक संग्रह प्रदर्शित करते हैं। हथकरघा और रेशम उत्पादन केंद्र के निदेशक साकेत कुमार ने मुख्य अतिथि के तौर पर प्रतिभागियों को सम्मानित किया।