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350 वें प्रकाशोत्सव पर बंदरों के आतंक का साया, ले चुके हैं तीन की जान

सिखों के दूसरे बड़े तख्त श्री हरिमंदिर पटना साहिब के आसपास की गलियों में बंदरों के आतंक से सिख-श्रद्धालु के साथ-साथ स्थानीय नागरिक भयाक्रांत हैं। एक दशक के अंदर दो महिलाओं तथा एक चिकित्सक की बंदर जान ले चुके हैं। 300 से अधिक लोगों को काटकर घायल किया है।

By Kajal KumariEdited By: Published: Tue, 01 Dec 2015 12:19 PM (IST)Updated: Tue, 01 Dec 2015 12:32 PM (IST)

पटना। सिखों के दूसरे बड़े तख्त श्री हरिमंदिर पटना साहिब के आसपास की गलियों में बंदरों के आतंक से सिख-श्रद्धालु के साथ-साथ स्थानीय नागरिक भयाक्रांत हैं।

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2017 जनवरी में होने वाले 350वें प्रकाशोत्सव पर देश-विदेश से आने वाले सिख श्रद्धालुओं की सुरक्षा के सिलसिले में बंदरों का आतंक बड़ी चुनौती होगी। एक दशक के अंदर दो महिलाओं तथा एक चिकित्सक की बंदर जान ले चुके हैं। 300 से अधिक लोगों को काटकर घायल किया है।

गुरुद्वारा से सटे क्लीनिक के डॉ. दिलीप कुमार ने बताया कि ग्यारह माह में 80 से अधिक सिख-श्रद्धालुओं तथा स्थानीय लोगों का इलाज किया गया है। बंदरों के बिजली तार पर झूलने से तार टूटने, शॉट लगने एवं ट्रांसफार्मर उडऩे का मामला अधिक होने से विद्युत विभाग परेशान है।

समय रहते प्रशासन सचेत न रहा तो 350 वें प्रकाशोत्सव के दौरान बंदरों का आतंक दिख सकता है। हाल ही में बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान 28 अक्टूबर को बख्तियारपुर में बंदरों के आतंक से प्रशासन परेशान रहा।

बंदरों के खौफ से तख्त श्री हरिमंदिर जी पटना साहिब के आसपास के गलियों में अधिकतर भवनों की छतों पर लोगों ने लोहे का जाल लगवा लिया है। स्थानीय लोगों की मानें तो बंदरों की संख्या भी दस-बीस-पचास में नहीं बल्कि डेढ़ सौ दो सौ के बीच है। 10 से 12 टोलियों में घूमते बंदरों की सेना कब किसे शिकार बना ले कहना मुश्किल।

बाहर से आए सिख-श्रद्धालुओं को तख्त श्री हरिमंदिर, बाल लीला गुरुद्वारा तथा कंगन घाट मार्ग में बंदरों के आतंक से सामना करना पड़ता है। गुरुद्वारों के आसपास बंदर घुड़की की दहशत इतनी है कि महिलाओं ने छत पर जाना छोड़ दिया है।

बच्चों के छत पर जाने तथा अकेले बाहर खेलने पर भी प्रतिबंध है। बंदर हाथ से खाने-पीने का सामान छीन लेते हैं। पिछले वर्ष मच्छरहट्टा गली में बंदर ने व्यवसायी के हाथ से एक लाख की गड्डी उड़ा लोगों की भीड़ इकट्ठा कर दी।


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