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राहुल की यात्रा : भाजपा पर तल्ख, नीतीश की तारीफ, लालू पर खामोश

बिहार में कांग्रेस के अस्तित्व पर सवाल उठाने वालों के लिए राहुल गांधी के पास जवाब हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वादों की हकीकत से पर्दा उठाने के लिए तर्क भी हैं। नीतीश की तारीफ करने से परहेज नहीं, पर लालू पर बोलने से बचते हैं।

By Amit AlokEdited By: Published: Thu, 08 Oct 2015 10:13 AM (IST)Updated: Thu, 08 Oct 2015 10:31 AM (IST)

पटना [सुनील राज]। बिहार में कांग्रेस के अस्तित्व पर सवाल उठाने वालों के लिए राहुल गांधी के पास जवाब हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वादों की हकीकत से पर्दा उठाने के लिए तर्क भी हैं। नीतीश की तारीफ करने से परहेज नहीं, पर लालू पर बोलने से बचते हैं। एक विशेष रणनीति के तहत तय मुद्दों से भटकते नहीं, सीधे-सीधे हमलावर होते हैं।

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पिछले महीने बेतिया की अपनी चुनावी यात्रा के बाद कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी बुधवार को एक बार फिर बिहार में थे। अपनी इस यात्रा के बहाने उन्होंने एक बार फिर मोदी को अपने निशाने पर रखा। नई बात यह रही कि वे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सराहना करते भी नजर आए।

बरबीघा में अपनी सभा में राहुल ने स्पष्ट कर दिया कि कांग्रेस विकास करना चाहती है। नीतीश ने बिहार को प्रगति दिखाई है, नतीजा कांग्रेस उनके साथ खड़ी है, विकास के लिए। अपने भाषणों में वे आज ज्यादा तल्ख दिखे।

कांग्रेस को लेकर सवाल उठाने वालों पर भी राहुल ने निशाना साधा और कहा, कांग्रेस अपनी लड़ाई नहीं लड़ रही। कांग्रेस किसानों और गरीबों की लड़ाई लड़ रही है। अपनी इस बात में ही राहुल ने मोदी और भाजपा पर तंज भी किए, 'जहां भी चुनाव होते हैं, भले ही वह हरियाणा हो या फिर उत्तर प्रदेश, भाजपा वाले एक-दूसरे को लड़ाते हैं। मोदी जी सिर्फ अमीरों के साथ खड़े नजर आते हैं, नीतीश कुमार तो गरीबों के साथ नजर आते हैं। मोदी का रंग-बिरंगा परिधान और नीतीश के सफेद कपड़ों के बहाने वे अमीर-गरीब के फासले को समझाने का प्रयास करते नजर आए।

अपनी तीन सभाओं में राहुल ने पहले से तय एजेंडों पर ही फोकस रखा। बीफ को लेकर मचा घमासान उनके एजेंडे में कहीं नजर नहीं आया। उन्होंने अपनी सभाओं में नीतीश का नाम तो कई बार लिया, लेकिन लालू प्रसाद का नाम एक बार भी न लेकर एक बार फिर उनके प्रति अपनी नाराजगी व्यक्त कर दी है। महागठबंधन के अंदर इसे लेकर आने वाले दिनों में प्रतिक्रिया देखने को मिल सकती है।

विश्लेषक भी मानते हैं कि लालू प्रसाद ने जिस प्रकार से कांग्रेस को कमजोर करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी, उसे लेकर राहुल के अंदर का गुस्सा अभी शांत हुआ नहीं है, लेकिन महागठबंधन के एक नेता का नाम लेकर दूसरे की अनदेखी कर उन्होंने बोलने वालों के लिए मुद्दे जरूर मुहैया करा दिए हैं। बहरहाल जैसे-जैसे मतदान का दिन नजदीक आ रहा है महासमर की भूमि और गर्म हो रही है। देखना यह होगा के इस भीषण गर्मी के बाद राहत की छांव किसके पाले में आती है।


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