सत्ता के लिए गाली-गलौज : उफ! ये क्या हो रहा है
किसी भी कीमत पर जीत हासिल करने का दबाव बिहार में चुनाव प्रचार कर रहे नेताओं पर भारी पड़ रहा है। नेता आपा खो रहे हैं, लगभग गाली-गलौज पर उतर आए हैं। मतदाता यह दृश्य देख हतप्रभ हैं।
पटना। किसी भी कीमत पर जीत हासिल करने का दबाव बिहार में चुनाव प्रचार कर रहे नेताओं पर भारी पड़ रहा है। नेता आपा खो रहे हैं, लगभग गाली-गलौज पर उतर आए हैं। मतदाता यह दृश्य देख हतप्रभ हैं।
एक नेता किसी को नरभक्षी कहता है, तो दूसरा उसे नारीभक्षी। देश के संसदीय इतिहास में ऐसे विषाक्त चुनावी माहौल की नजीर नहीं है। सबकी नजर चुनाव आयोग पर लगी है।
शाब्दिक उत्तेजना की शुरुआत पीएम नरेंद्र मोदी की चुनाव-पूर्व पहली रैली से हुई थी। उन्होंने सीएम नीतीश कुमार के डीएनए पर टिप्पणी की, तो जदयू ने इसे गाली की संज्ञा देते हुए खासा हंगामा किया।
कई हफ्ते इस पर विवाद चला। बहरहाल, अब तो इससे भी कटु टिप्पणियां आम बात हो चली हैं। इसी महीने अमित शाह ने बेगूसराय में लालू प्रसाद की तरफ संकेत करते हुए उन्हें 'चारा चोर' कहा।
शाह ने कहा कि पहले जेपी और डा.राजेंद्र प्रसाद की वजह से जाना जाता था बिहार, लेकिन अब चारा चोर की वजह से। राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद ने तुरंत पलटवार किया। अमित शाह को नरभक्षी बताते हुए उन्होंने ट्वीट कर दिया।
लिखा- एक नरभक्षी एवं तड़ीपार बिहार को सदाचार न सिखाए। राबड़ी देवी भी कहां चुप बैठने वाली थीं उन्होंने अमित शाह को जल्लाद कहा। बांका में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहली चुनावी सभा में सांसद अश्विनी कुमार चौबे ने लालू द्वारा अमित शाह को नरभक्षी कहने का बदला ले लिया।
उन्होंने कहा कि लालू प्रसाद 'नारी भक्षी' हैं। वैसे उन्होंने बाद में इस वक्तव्य को थोड़ा संभालते हुए कहा कि गाय मां के सामान होती है और लालू ने उनका चारा खाया है। बांका में प्रधानमंत्री ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को अहंकारी कहा। इसे भी जदयू ने गाली कहा है।
लालू प्रसाद ने जब यह कहा कि ङ्क्षहदू भी बीफ खाते हैं तो इस पर भी नेताओं की टिप्पणी बदले अंदाज में आई। एक केंद्रीय मंत्री ने कहा कि लालू बौरा गए हैं तो दूसरे ने कहा कि लालू प्रसाद ने अपना मानसिक संतुलन खो दिया है।
सोमवार को लालू प्रसाद का एक ट्वीट खासी चर्चा में रहा। इस ट्वीट में उन्होंने इशारे-इशारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह पर टिप्पणी की है। उन्होंने लिखा- हस्तिनापुर में बैठा कलयुगी धृतराष्ट्र न सिर्फ अंधा है बल्कि बहरा और गूंगा भी है।
दुर्योधन को समाज तोडऩे के लिए नंगा नाच करने की खुली छूट है। ये धृतराष्ट्र अंदर से डरपोक है। दिखावे के लिए चिल्लाता है। जब बोलने की जरूरत होती है, मौन धारण कर छुपकर बैठ जाता है।
महाभारत के इन पात्रों को आधार बनाकर इसके पहले पूर्व मंत्री और भाजपा नेता ने नीतीश कुमार पर ट्वीट किया था-भाजपा धृतराष्ट्र, शकुनी के हाथ से बिहार को सुरक्षित निकाल पुन: विकास के पटरी पर सरपट दौड़ाना चाहती है।
ये अपशब्द हो चुके इस्तेमाल
-डीएनए गड़बड़
-चारा चोर
-नरभक्षी
-नारीभक्षी
-जल्लाद
-धृतराष्ट्र
-शकुनी
-दुर्योधन
-बौरा गए
-अहंकारी
-मानसिक संतुलन खत्म
-अंधा, बहरा, गूंगा
जुबानी हमले पर क्या है कार्रवाई का प्रावधान
भरतीय दंड संहिता के तहत 153ए के तहत कोई भी व्यक्ति धर्म, मूलवंश, जन्म स्थान, निवास स्थान और भाषा, संप्रदाय आदि के आधार शत्रुता को बढ़ावा देगा या सौहार्द पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाला कार्य करेगा वह तीन वर्ष तक करावास या जुर्माना से दंडित किए जाने का प्रावधान है।
लोक प्रनिधिनिधित्व अधिनिय 1951 के तहत की धारा 125 के तहत कोई भी व्यक्ति निर्वाचन प्रक्रिया के दौरान धर्म, वंश, जाति समुदाय या भाषा के जरिए भारत के नागरिकों के विभिन्न वर्गों के बीच शत्रुता या घृणा की भावनाओं को बढ़ावा देगा या प्रयास करेगा तो यह संज्ञेय अपराध को दोषी होगा।
आजम खां और अमित शाह किए गए थे प्रतिबंधित
2014 लोकसभा चुनाव के दौरान असंसदीय शब्द बोलने के आरोप में चुनाव आयोग ने भाजपा नेता अमित शाह और उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री आजम खान के चुनाव प्रचार करने पर रोक लगा दी थी।
आयोग ने खान को 'कारगिल की लड़ाई' और गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री एवं भाजपा के प्रधानमंत्री पद के प्रत्याशी नरेंद्र मोदी पर अनुचित टिप्पणी का दोषी माना था। इसी तरह अमित शाह को भड़काऊ बयान देने का जिम्मेदार ठहराया गया था।
आयोग ने अमित शाह और आजम खान पर सख्त रुख अपनाते हुए चुनाव में दोनों नेताओं के उत्तर प्रदेश में सार्वजनिक सभा करने, जुलूस निकालने या रोड शो करने पर प्रतिबंध लगा दिया था।
चुनाव आयोग ने उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव को यह भी सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था कि भाजपा नेता अमित शाह और उत्तर प्रदेश के मंत्री आजम खान ऐसी कोई कार्रवाई न करें, जिससे सार्वजनिक शांति और कानून एवं व्यवस्था की स्थिति प्रभावित हो।
आयोग ने सभी जिलों के प्रशासन को निर्देश दिया था सार्वजनिक सभा करने, जुलूस निकालने या रोड शो करने आदि की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए, जिसमें कि इन दो नेताओं के हिस्सा लेने की संभावना हो।
क्यों हुए आजम प्रतिबंधित
खान ने उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में कहा था 1999 में कारगिल युद्ध में 'मुसलमान सैनिकोंÓ ने भारत को जीत दिलाई थी। रामपुर में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए नरेंद्र मोदी के खिलाफ अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल किया था।
इसलिए शाह पर कसा था शिकंजा
उत्तर प्रदेश के शामिल जिले में एक सभा में शाह ने कहा था कि ये चुनाव अपमान का बदला लेने का है। यह इलाका पिछले साल के दंगों के दौरान सबसे च्यादा प्रभावित रहे इलाकों में से एक है।