शुभ संकेत है विकास बनाम विकास की बात
हाल के वर्षो में राजनीति में काफी बदलाव आया है। आज भी कुछ लोग जाति एवं परिवारवाद की बात
हाल के वर्षो में राजनीति में काफी बदलाव आया है। आज भी कुछ लोग जाति एवं परिवारवाद की बात कर रहे हैं। हालांकि जनता इससे ऊपर उठती नजर आ रही है। लोग जातिवाद एवं परिवारवाद से ऊब चुके हैं। सबसे बड़ी बात है कि अब लोग विकास की बात करने लगे हैं। जनता विकास चाहती है। यह बदलाव का सबसे बड़ा परिणाम है। यह शुभ संकेत है कि राजनीतिक दल जनता की भाषा समझने लगे हैं। राजनेता सबका साथ सबका विकास एवं न्याय के साथ विकास की बात करने लगे हैं। नई पीढ़ी को विकास चाहिए। बिना विकास के किसी भी समाज का भला नहीं होने वाला है। विकास हर व्यक्ति के लिए लाभकारी है। राज्य की राजनीति में पहले ऐसा नहीं हो रहा था। अब जनता राजनीतिक रूप से परिपक्व हुई है। जो नेता जनता को कम आंक कर चल रहे हैं, वे भूल कर रहे हैं। जनता अपना निर्णय विधानसभा चुनाव में बता देगी। विधानसभा चुनाव में परिवारवाद,जातिवाद नहीं चलेगा। जनता के विकास की भूख जो पार्टी शांत कर पाएगी वही सूबे में राज करेगी। नेताओं को लोगों की भावना समझना होगी। प्रदेश की नई पीढ़ी को केवल विकास का एजेंडा प्रभावित कर सकता है। पहले विकास को प्रचार का माध्यम माना जाता था, आज विकास सच्चाई बन गई है। राजनीतिक दलों को इसे स्वीकार करना होगा।
संजय पासवान
पूर्व केंद्रीय मंत्री