जानते हैं, कैसे हर साल आठ हजार करोड़ का अनाज हो जाता है बर्बाद
कटाई के बाद अनाज की बर्बादी को रोकने के लिए केंद्र सरकार ने पहल तेज कर दी है। केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने सोमवार को इसके लिए अन्न संरक्षण योजना की शुरुआत की। इसमें कृषि वैज्ञानिकों का भी सहयोग लिया जा रहा है।
पटना। कटाई के बाद अनाज की बर्बादी को रोकने के लिए केंद्र सरकार ने पहल तेज कर दी है। केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने सोमवार को इसके लिए अन्न संरक्षण योजना की शुरुआत की। इसमें कृषि वैज्ञानिकों का भी सहयोग लिया जा रहा है।
अमेरिकी कंपनी के सहयोग से पहले चरण में बिहार के पांच जिलों (बेगूसराय, समस्तीपुर, बांका, भागलपुर और पूर्वी चंपारण) के किसानों को प्रशिक्षित किया जाएगा। उसके बाद पांच सालों में योजना पूरे प्रदेश में लागू हो जाएगी।
अनाज की क्षति का आकलन और उसे रोकने के लिए सोमवार को एक परियोजना की शुरुआत करते हुए केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने कहा कि देश में पैदावार और भंडारण के दौरान किसानों को दस से 30 प्रतिशत तक अनाज की क्षति उठानी पड़ती है। इस हिसाब से देश में हर साल 50 हजार और बिहार में आठ हजार करोड़ रुपये का अनाज बर्बाद हो जाता है। सबसे ज्यादा फल-सब्जियां खराब होती हैं। 2020 तक खाद्यान्न की समस्या और विकराल हो सकती है। उत्पादकता बढ़ाकर और नुकसान कम करके ही इसे दूर किया जा सकता है। मध्य प्रदेश ने 20 प्रतिशत तक कृषि विकास दर बढ़ाया है। इस योजना के जरिए कृषि वैज्ञानिक किसानों को बताएंगे कि फसल क्षति को कैसे कम किया जाए। अनाज को कीड़ों से कैसे सुरक्षित रखा जा सकता है।
केंद्रीय राज्य मंत्री रामकृपाल यादव ने कहा कि देश की आर्थिक स्थिति मजबूत तभी होगी जब बिहार के किसानों की स्थिति सुधर जाएगी। केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री सिचाई योजना चला रखी है। फिर भी बिजली की कमी के कारण हर खेत तक पानी नहीं पहुंच रहा। राज्य के किसान आत्महत्या कर रहे हैं।
समारोह को अमेरिकी कंपनी एडीएम के एमडी राबर्ट बिस्टर, सीईओ मार्टिन क्रो, डायरेक्टर प्रशांत कुमार कलिजा, हरिशंकर गुप्ता, आरके मित्तल तथा भगवती प्रसाद भïट्ट ने भी संबोधित किया।
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बिहार नहीं कर रहा सहयोग राधामोहन ने कहा कि केंद्र सरकार की योजना हर खेत को पानी पहुंचाने की है। इसके लिए पांच सालों में 50 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।
बिहार में सिंचाई व्यवस्था के क्षेत्र में कुछ नहीं हुआ। केंद्र सरकार से चार माध्यमों-जल संसाधन, कृषि, ग्र्रामीण विकास और मनरेगा- के जरिए खेतों तक पानी पहुंचाने के लिए पैसे भेजे जाते हैं, लेकिन खेतों तक पहुंचने से पहले पाइप में इतने छेद हैं कि पानी बीच में ही बह जाता है। गुजरात, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में हर खेत को पानी पहुंचाने की व्यवस्था की गई है। बिहार को भी तत्परता से कार्य करना होगा।