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प्राचार्य नियुक्ति मामले में पूर्व कुलपति व प्राचार्य गिरफ्तार

मगध विश्वविद्यालय के विभिन्न संबद्ध कॉलेजों में प्राचार्यों की नियुक्ति में हुई धांधली की गाज गिरनी शुरू हो गई है। निगरानी अन्वेषण ब्यूरो की टीम ने शुक्रवार को मगध विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. अरुण कुमार और रामलखन सिंह यादव कॉलेज के प्राचार्य प्रवीण कुमार को गिरफ्तार कर लिया।

By pradeep Kumar TiwariEdited By: Published: Fri, 05 Jun 2015 11:28 AM (IST)Updated: Fri, 05 Jun 2015 12:20 PM (IST)
प्राचार्य नियुक्ति मामले में पूर्व कुलपति व प्राचार्य गिरफ्तार

पटना। मगध विश्वविद्यालय के विभिन्न संबद्ध कॉलेजों में प्राचार्यों की नियुक्ति में बड़े पैमाने पर हुई धांधली की गाज गिरनी शुरू हो गई है। निगरानी अन्वेषण ब्यूरो की टीम ने शुक्रवार को तड़के ही मगध विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. अरुण कुमार और रामलखन सिंह यादव कॉलेज के प्राचार्य प्रवीण कुमार को उनके आवास से गिरफ्तार कर लिया।विजिलेंस द्वारा निगरानी की विशेष अदालत में पेश किए जाने के बाद दोनों को 16 जून तक के लिए जेल भेज दिया।

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बता दें कि पटना हाइकोर्ट के निर्देश पर निगरानी ब्यूरो ने इस मामले में पिछले दिनों दर्ज अपनी प्राथमिकी में पूर्व कुलपति प्रो. अरुण कुमार, पूर्व प्रति कुलपति डॉ. डीके यादव समेत मगध विश्वविद्यालय के कुल 25 अधिकारियों और प्राचार्य चयन समिति के सदस्यों समेत 12 प्राचार्यों व तीन पदस्थापना की प्रतीक्षा कर रहे प्राचार्यों को नामजद अभियुक्त बनाया है। शुक्रवार की सुबह डॉ. अरुण कुमार को निगरानी की टीम ने पटना के नेहरू नगर स्थित उनके आवास से गिरफ्तार कर लिया। इसी तरह प्रवीण कुमार को भी उनके आवास से गिरफ्तार कर लिया गया।

निगरानी ब्यूरो के आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि जांच में स्पष्ट हो चुका है कि प्राचार्यों की नियुक्ति में हर स्तर पर भाई-भतीजावाद और पैसे का खेल खुलकर खेला गया है। निगरानी जांच में कुछ ऐसे दस्तावेज भी हाथ लगे हैं, जिनसे साफ होता है कि विश्वविद्यालय के संबद्ध कॉलेजों के प्राचार्य के पद की बोली तक लगाई गई थी। यहां तक कि प्राचार्यों की नियुक्ति के लिए गठित चयन समिति के सदस्य रहे डॉ. शिवजतन ठाकुर, प्रो. विक्टर टिग्गा, डॉ. राज मुकुल और प्रो. आर पांडेय ने निगरानी के समक्ष स्वीकार किया था कि प्राचार्यों की नियुक्ति में बड़े पैमाने पर धांधली की गई है। प्राचार्यों की नियुक्ति में उनके चयन का आधार किसी भी स्तर पर योग्यता नहीं थी।

बताते चलें कि मार्च 2013 में प्रोफेसर अरूण कुमार ने बैक डेट से विभिन्न कालेजों के 12 शिक्षकों को प्राचार्य बनाने की अधिसूचना जारी कर दी थी। इन शिक्षकों को 60 दिनों के अंदर ज्वाईन करने को कहा गया था, लेकिन ज्वाइनिंग लेटर पर मार्च की बजाए जनवरी 2013 की तारीख थी। इसके कारण इन शिक्षकों की ज्वाईनिंग संदेह के घेरे में आ गई। इसकी जांच के लिए अप्रैल 2013 में सेवानिवृत्त आएएस बीबी लाल की अध्यक्षता में एक सदस्यीय टीम कमेटी गठित की गई। कमेटी ने तीन महीने बाद जांच रिपोर्ट राज्यपाल को सौंप दी। रिपोर्ट में मगध विश्वविद्यालय के गलत तरीकेे से नियुक्त सभी 12 प्राचार्यों सहित कुछ और लोग भी दोषी पाए गए थे।

प्रारंभिक जांच के बाद यह मामला हाईकोर्ट में चला गया। हाईकोर्ट ने मामले की जांच निगरानी से कराने का आदेश दिया।


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