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जाली नोट छापने वाले गिरोह का भंडाफोड़

जागरण संवाददाता, पटना : राजधानी पुलिस ने सोमवार को जाली नोट छापने वाले गिरोह का भंडाफोड़ किया। पुलिस

By Edited By: Published: Tue, 26 May 2015 01:05 AM (IST)Updated: Tue, 26 May 2015 01:05 AM (IST)
जाली नोट छापने वाले गिरोह का भंडाफोड़

जागरण संवाददाता, पटना : राजधानी पुलिस ने सोमवार को जाली नोट छापने वाले गिरोह का भंडाफोड़ किया। पुलिस ने दो जालसाजों को दो लाख रुपये के नकली नोट के साथ दबोच लिया। उनके पास से लैपटॉप व प्रिंटर बरामद किया गया है, जिसका इस्तेमाल नोटों की छपाई के लिए किया जाता था। दोनों जालसाज नालंदा जिले के रहने वाले हैं। पुलिस गिरोह के अन्य सदस्यों की तलाश में छापेमारी कर रही है।

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पुलिस कप्तान जितेंद्र राणा को गुप्त सूचना मिली कि पंडारक बाजार में दो जालसाज जाली नोटों को खपाने के लिए आए हुए हैं। इसके बाद बाढ़ अपर पुलिस अधीक्षक मनोज तिवारी के नेतृत्व में टीम गठित की गई। टीम ने बाजार की घेराबंदी कर शैलेंद्र कुमार (नौरंगा, बिंद, नालंदा) और सुदर्शन मिश्र (मलामा, सरमेरा, नालंदा) को दबोच लिया। तलाशी के क्रम में उनके पास से लाल रंग के थैले में 100 रुपये की शक्ल में दो लाख रुपये के जाली नोट मिले। 100-100 की गड्डियों का पहला नोट असली था। उनकी निशानदेही पर बिहारशरीफ के लहेरी थाना क्षेत्र के एक मकान में छापेमारी की गई, जहां से लैपटॉप व प्रिंटर बरामद हुआ।

स्कैन कर प्रिंटर से निकालते थे नोट

शैलेंद्र असली नोट को स्कैन करने के बाद एक्जीक्यूटिव बांड पेपर पर इंक जेट प्रिंटर से जाली नोट छापता था। हालांकि उसमें वाटरमार्क (महात्मा गांधी की तस्वीर) नहीं आ पाती थी, लेकिन छपाई हू-ब-हू असली नोट जैसा ही होता था। नोट छापने के लिए वह अच्छी गुणवत्ता वाला इंक इस्तेमाल करता था।

शैलेंद्र छापता था नोट

लहेरी थाना क्षेत्र के एक मकान में शैलेंद्र किराए पर रहता था। वहीं से वह नोटों की छपाई करता था। सुदर्शन का काम जाली नोटों को खपाना था।

ग्रामीण इलाके होते थे टारगेट

नकली नोटों को खपाने के लिए वह ग्रामीण इलाकों को टारगेट करते थे। उनके लिए पशु हाट या बाजार समिति जैसी जगह नोटों को खपाने के लिए बेहतर होती थी। भीड़ के कारण व्यापारी असली और नकली का फर्क नहीं कर पाते।

50 फीसद पर होता था कारोबार

जाली नोट का कारोबार 50 फीसद पर चलता था। मसलन दो लाख के जाली नोट के बदले वे एक लाख रुपये वसूलते थे। ग्राहक आसानी से उन पर विश्वास कर ले इस लिए नोटों की गड्डी का पहला नोट असली होता था। वे केवल 10, 20, 50 और 100 रुपये के नोट छापते थे ताकि ग्राहकों को जाली नोट खपाने में ज्यादा मशक्कत न करना पड़े।

नेपाल से भी जुड़े हैं तार

गिरोह के तार नेपाल से भी जुड़े होने की संभावना जताई जा रही है। इसके अलावा जाली नोटों की खपत दूसरे राज्यों में भी की जाती है। गिरोह के सदस्यों की पहचान करने के लिए जालसाजों को रिमांड पर लिया जाएगा। एसएसपी ने गिरोह का भंडाफोड़ करने वाली टीम को पुरस्कृत करने की घोषणा की है।


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