ग्राउंड जीरो रिपोर्ट- रोटी की बात छोडि़ए, कफन भी मयस्सर नहीं
बेबसी का इससे अधिक आलम क्या हो सकता है? पैसे बैंकों में हैं लेकिन उसे निकालने का कोई रास्ता नहीं बचा। शाखाएं बंद हैं और एटीएम ठप।
भारत-नेपाल सीमा से संजय सिंह। बेबसी का इससे अधिक आलम क्या हो सकता है? पैसे बैंकों में हैं लेकिन उसे निकालने का कोई रास्ता नहीं बचा। शाखाएं बंद हैं और एटीएम ठप। जरूरतमंद बहुत ज्यादा है और उपभोक्ता वस्तुएं कम हो गई हैं। परिणामस्वरूप कीमतें आसमान छू रही हैं। आपदा की इस घड़ी में नेपाल और खास कर काठमांडू के लोगों को रोटी मिलने की बात तो भूल ही जाइए, लाशों को ढकने के लिए कफन तक नहीं है। लोगों को पानी के लिए भी हलकान होना पड़ रहा है।
नेपाल और बिहार के बीच रोटी-बेटी का भी रिश्ता है। इस कारण सीमावर्ती इलाके के लोगों को नेपाल की परेशानियों से अधिक पीड़ा हो रही है। पानी की दस रुपये की बोतल 60 रुपये में और पांच रुपये के बिस्किट के पैकेट चालीस रुपये में बिक रहे हैं। भारत व स्थानीय सरकार से मिल रही राहत सामग्री ऊंट के मुंह में जीरा की तरह है। ऐसे में विभिन्न जगहों पर खाने के लिए लोगों में लड़ाई-झगड़ा होने लगा है। लालची किस्म के कारोबारी आपदा की इस घड़ी में भी पीडि़तों को लूटने से बाज नहीं आ रहे हैं। नेपाल का स्थानीय प्रशासन राहत व बचाव कार्यों में उलझा है। यहां बड़ी परेशानी लाशों के अंबार के अंतिम संस्कार में हो रही है। लोगों को लकड़ी तक नहीं मिल पा रही है। वहीं यातायात संकट के बीच पेट्रोल-डीजल की भी भारी किल्लत हो गई है। लोग एक से दूसरी जगह नहीं जा पा रहे हैं।
काठमांडू की ममता गल्र्स हॉस्टल में रहने वाली सुमन व सरिता यादव का कहना है कि छात्रावास प्रबंधन द्वारा किसी तरह से एक समय का भोजन उन्हें उपलब्ध कराया जा रहा है। दिन-रात में मात्र एक बार खाकर कई लोग रह रहे हैं। मधेशी राइट फोरम की बिंदु यादव का कहना है कि प्रशासनिक व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है। सामग्री रहते हुए भी लोगों तक राहत नहीं पहुंच रहा है। बहरहाल, मौजूदा स्थिति में नेपाल को बड़े पैमाने पर मदद की जरूरत है। फिलहाल जो मदद पहुंच रही है वह नाकाफी है।
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सामग्र्री -कीमत (रुपये में)-वर्तमान में बिक रहा (रुपये में)
1. पानी की बोतल-10-60
2. पानी की बोतल-20-80
3. बिस्किट-5-60
4. रोटी-2-20
5. आलू की भाजी-10-50
6. चूड़ा-20-100
7. चनाचूर-5-25
8. चना (प्रति किलो)-40-250