नगर आयुक्त कुलदीप नारायण के निलंबन पर रोक
पटना के नगर आयुक्त कुलदीप नारायण के निलंबन पर पटना उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को झटका दिया है। उच्च न्यायालय ने उनके निलंबन पर तत्काल रोक लगा दी है।
पटना। पटना के नगर आयुक्त कुलदीप नारायण के निलंबन पर पटना उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को झटका दिया है। उच्च न्यायालय ने उनके निलंबन पर तत्काल रोक लगा दी है। सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा निलंबन के आदेश के मद्देनजर नगर विकास विभाग ने सोमवार को ही पटना के अपर नगर आयुक्त को नगर आयुक्त का प्रभार सौंपा था। उधर अदालत ने राज्य सरकार से वह संचिका पेश करने को कहा है जिसके आधार पर आयुक्त को निलंबित किया गया। संचिका के अध्ययन के बाद मंगलवार को अदालत फिर सुनवाई करेगी।
सुनवाई के दौरान न्यायाधीशों ने कहा कि प्रथमदृष्टया सरकार का यह आदेश पूर्वाग्रह से ग्रसित प्रतीत होता है। लगता है यह निर्णय बिल्डरों के दबाव में लिया गया है। उन्हें अवैध निर्माण के खिलाफ अपने सख्त रवैये का खामियाजा भुगतना पड़ा है। मामले की सुनवाई न्यायाधीश वीएन सिन्हा और न्यायाधीश प्रभात कुमार झा की खंडपीठ ने की। नरेन्द्र मिश्रा की लोकहित याचिका पर जैसे ही सुनवाई शुरू हुई प्रधान अपर महाधिवक्ता ललित किशोर ने कहा कि 12 दिसंबर को नगर आयुक्त कुलदीप नारायण को निलंबित कर कपिल अशोक को अस्थायी रूप से निगम आयुक्त बना दिया गया है। इस पर कोर्ट ने कहा कि कुलदीप नारायण को निलंबित करने के पहले न्यायालय के आदेश को देखना चाहिए था। हाईकोर्ट ने पिछले साल 8 जुलाई को आयुक्त के तबादले पर रोक लगायी थी। इस आदेश को राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में भी चुनौती दी थी। लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। नारायण को स्थानांतरित न कर निलंबित कर दिया गया। निलंबन के पूर्व हाईकोर्ट से अनुमति लेने के सवाल पर प्रधान अपर महाधिवक्ता ने कहा जब कोई रंगे हाथ पकड़ा जाए तो क्या उसे यह कह कर छोड़ दिया जाए कि पहले कोर्ट ने अनुमति लेनी है। इस पर कोर्ट ने कहा,आपको जो बहस करना हो करें, आदेश हमें पारित करना है।
निगम के मामले को ले कोर्ट के आदेश की दी जानकारी
प्रधान अपर महाधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि आज साढ़े दस बजे सुरेश प्रसाद यादव व अन्य द्वारा दायर याचिका पर कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश इकबाल अहमद अंसारी की खंडपीठ ने सुनवाई की थी। उक्त मामले में बताया गया था निलंबन के कारण आयुक्त नहीं आ सके। उन्हें इस कोर्ट के आदेश के बारे में भी बताया गया था। जिसमें अदालत ने निलंबन पर सुनवाई करने से इस अदालत को रोक दिया है। इस पर उक्त कोर्ट के आदेश की प्रतिलिपि दिखाने को कहा गया। इसके जवाब में कोर्ट ने कहा कि वे दूसरे कोर्ट के आदेश से ताल्लुक नहीं रखते हैं। यह दोनों अलग-अलग मामला है।
नगर आयुक्त को निलंबित करने के कारणों की जानकारी खंडपीठ को दी गई। बताया गया कि आयुक्त पटना में साफ-सफाई करने में विफल रहे। कचरा प्रबंधन योजना भी खटाई में पड़ गई। अतिक्रमण हटाने में भी वे असफल रहे। इसके अलावा अनेक कारण थे। इस पर कोर्ट ने कहा कि न्यायालय के आदेश से आयुक्त को साफ-सफाई के काम से अलग रखा गया था। आयुक्त को अवैध निर्माण पर रोक की मुहिम में लगाया गया था। साफ-सफाई के लिए दो अपर आयुक्त सीता चौधरी एवं कपिल अशोक लगाये गये थे। कोर्ट ने जानना चाहा क्यों उन दोनों पदाधिकारियों को भी सस्पेंड कर दिया गया है। मंगलवार को सुनवाई जारी रहेगी।