नालंदा विश्वविद्यालय से भी पुराने विश्वविद्यालय का मिला प्रमाण
नालंदा के तेल्हाड़ा में इतिहास का नया पन्ना खुला है। उत्खनन के दौरान यहां प्राप्त सील में एक अन्य प्राचीन विश्वविद्यालय का नाम सामने आया है। इसके मुताबिक कुषाणकाल में स्थापित इस विश्वविद्यालय का नाम श्री प्रथमशिवपुर महाविहारीयाये भिक्षु संघस था।
पटना। नालंदा के तेल्हाड़ा में इतिहास का नया पन्ना खुला है। उत्खनन के दौरान यहां प्राप्त सील में एक अन्य प्राचीन विश्वविद्यालय का नाम सामने आया है। इसके मुताबिक कुषाणकाल में स्थापित इस विश्वविद्यालय का नाम श्री प्रथमशिवपुर महाविहारीयाये भिक्षु संघस था। अन्य प्रमाण मिलने की स्थिति में प्राचीन तिलाधक विश्वविद्यालय का नामकरण नए सिरे से होगा।
कला संस्कृति विभाग के सचिव आनंद किशोर ने शनिवार को संवाददाताओं को उत्खनन में प्राप्त सील दिखाई। कहा, कोलकाता विश्वविद्यालय के प्राध्यापक डॉ. एस.सन्याल ने सील को पढ़ा है। महाविहार में चार मोनास्टरी सील प्राप्त हुए हैं। इससे विश्वविद्यालय के प्रथम शताब्दी ई. में स्थापित होने का प्रमाण मिला है। जबकि चीनी यात्री ह्वेन सांग के यात्रावृतांत के आधार पर अभी तक इसे सातवीं शताब्दी का माना जाता रहा है। नए प्रमाण मिलने के बाद ऐसा प्रतीत होता है कि तेल्हाड़ा में प्राप्त महाविहार नालंदा व विक्रशिला महाविहार से भी पुराना है। तेल्हाड़ा स्थित विश्वविद्यालय के नाम तिलाधक, तेलाधक्य विश्वविद्यालय, तेल्स्य महाविहार प्रचलित थे। लार्ड कनिंघम ने इस महाविहार को तिलाधक महाविहार का नाम दिया था। उनके मुताबिक प्रमाणिक इतिहासकारों, पुरातत्वविदों व भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा इसपर काम किया जाए तो नालंदा जिला स्थित तेल्हाड़ा अन्तर्राष्टीय मानचित्र पर आ सकता है। उत्खनन कार्य राज्य सरकार के पुरातत्व निदेशालय द्वारा हुआ है। पहला फावड़ा 26 दिसंबर 2009 को तत्कालीन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने चलाया था। श्री कुमार ने अपनी यात्रा के दौरान 2009 में इस स्थल को देखा था। उन्होंने पुरातात्विक अवशेष को देखकर कला, संस्कृति व युवा विभाग को उत्खनन का आदेश दिया था। पांच वर्षों से हो रहे उत्खनन में विश्ववविद्यालय के स्वरूप, संरचना व पुरावशेषों के संबंध में अनवरत नए तथ्य सामने आ रहे हैं। बिहार सरकार द्वारा उत्खनन में तेल्हाड़ा में बड़ी संख्या में बौद्ध प्रतिमाएं भी प्राप्त हुई हैं जिनमें धातु प्रतिमाओं का सौंदर्य व शिल्पीय अभिव्यक्ति अद्भुत है। कई पुराभिलेखीय अवशेष भी प्राप्त हुए हैं जो प्रस्तर खंडों के अलावा प्रस्तर प्रतिमाओं व पकी मिट्टी के सीलों पर उकेरे गए हैं। उत्खनन में प्राप्त सील टेराकोटा में निर्मित हैं। एक सील के ऊपर तप में लीन बुद्ध का अस्थिकाय अंकन है, जो दुर्लभ है। उत्खनन में बौद्ध विहार की संरचनाएं कई स्तरों पर प्राप्त हुई हैं जिनमें साधना कक्ष, बारामदा, आंगन, कुएं नाले व विहार के मध्य में तीन बौद्ध मंदिर के अवशेष मिले हैं। राज्य सरकार द्वारा भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण से उत्खनन का अनुरोध किया जाएगा।