मनुवादी मिजाज के खिलाफ एक विद्रोही सीएम
मैं आज जिस जीतन राम मांझी से मिल रहा था, वह मुख्यमंत्री के रूप में छह महीने के दौरान ‘रबर स्टाम्प’ से ‘बेलगाम’ तक के विशेषण से नवाजे जा चुके हैं।
पटना ( मधुरेश)। मैं आज जिस जीतन राम मांझी से मिल रहा था, वह मुख्यमंत्री के रूप में छह महीने के दौरान ‘रबर स्टाम्प’ से ‘बेलगाम’ तक के विशेषण से नवाजे जा चुके हैं। मांझी के अनुसार उनका यह दो ध्रुवीय व्यक्तित्व, उनके विरोधियों, आलोचकों की दिमागी खुराफात है।
मगर प्रकट तौर पर बेशक इसके केंद्र में मांझी की वह जुबान है, जिसके बारे में अब जदयू नेतृत्व भी कहने लगा है कि इससे हम जब-तब असहज हो जाते हैं। मांझी इसे नहीं मानते। बोले-‘उसने मुङो रबर स्टाम्प बोला तो ठीक और जब मैं बोलता हूं, तो मुङो बेलगाम कहा जा रहा है। यह तो हद है। राजनीति की शर्म है।’ बहरहाल, सरकार के नौ साल पूरा होने पर सोमवार को बातचीत के दौरान जीतन राम मांझी ने अपनी बातों, अपने संपूर्ण भाव से खुद को मनुवादी कल्ट (विचारधारा/मिजाज) के खिलाफ एक ‘विद्रोही मुख्यमंत्री’ के रूप में दिखाया। उन्हें अपनी खातिर इन शब्दों पर एतराज नहीं है, सिवाय इसके कि उनको विद्रोही की बजाए ईमानदार, निश्छल व बेबाक कहा जाए। यह सबकुछ बहुत मायनों में दिखा भी। उन्होंने बेहिचक कहा-‘मेरे ही घर (जदयू) में मनुवादियों की कमी नहीं है। सिर्फ यही लोग मेरे विरोधी हैं।’
पार्टी के लोग ही मुझसे जलते हैं : जीतन राम मांझी
दैनिक जागरण से विशेष बातचीत में मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने कहा कि शरद यादव हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। वे मैच्योर्ड (परिपक्व) राजनीतिज्ञ हैं। उन्होंने मुझसे बस इतना ही कहा कि कुछ लोगों को आपकी कुछ बातें थोड़ी बुरी लगती है। थोड़ा संयम रखिए। मैं भी नहीं चाहता कि ऐसा कुछ हो। मैं शरद जी की कद्र करता हूं। लेकिन केसी त्यागी मुझको नसीहत देने वाले कौन होते हैं? वे क्या हैं, कौन नहीं जानता है? मैंने उनकी जो बातें अखबारों में पढ़ी, इलेक्ट्रोनिक मीडिया पर उनको बोलते हुए सुना, क्या उनको ऐसा बोलने का अधिकार है?
उन्होंने कहा-मेरी ही पार्टी के कुछ लोग मुझसे बहुत जल रहे हैं। मैं नहीं जानता कि आखिर उनका स्वार्थ क्या है लेकिन इतना जरूरत लगता है कि उनको मुझसे अपने अस्तित्व का खतरा दिखता होगा। वे मुझे आईकॉन नहीं बनने देना चाहते। ये मनुवादी लोग हैं। ये कौन हैं? मांझी का जवाब-अरे, छोड़िए, आप लोग इनका नाम नहीं जानते हैं? आप ही लोग तो छापते रहते हैं कि फलां-फलां मेरी शिकायत लेकर यहां गए हैं, वहां गए हैं? इससे कुछ नहीं होगा। सच, सच होता है। ऐसे लोग टहलते ही रह जाएंगे। उनकी दाल नहीं गलेगी। ऐसे लोग भाजपा में भी हैं। लेकिन मैं नहीं डरने वाला। उनके अनुसार सारे लोग मेरी बातें समझ रहे हैं।
हमारे समाज में हमारा मेसेज बखूबी पसर रहा है। समाज के लोग हमारी भाषा समझ रहे हैं। लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में मेरे लिए तालियां बजती हैं। सागर यूनिवर्सिटी के कुलपति यह देखने मेरे समारोह में आ जाते हैं कि राजनीति में मेरा जैसा आदमी भी है। स्वामी अग्निवेश तारीफ करते हैं। लेकिन कुछ लोगों, जो एक जमात विशेष के ही हैं, को यह सबकुछ बकवास और पागलपन सा लगता है। वह अपने हिसाब से, अपने फायदे में मेरी बातों को प्रचारित करा रहे हैं। मांझी का इस बात से इनकार रहा कि कानून व्यवस्था व विकास की स्थिति गड़बड़ाई है।