अब जदयू को झारखंड में नए दोस्त की तलाश
पटना (राज्य ब्यूरो)। भाजपा को परास्त करने के लिए जदयू हरेक राज्य में अलग-अलग रणनीति के तहत गठबंधन बन
पटना (राज्य ब्यूरो)। भाजपा को परास्त करने के लिए जदयू हरेक राज्य में अलग-अलग रणनीति के तहत गठबंधन बनाएगा। बिहार में राजद और काग्रेस के साथ उसका गठबंधन है। हरियाणा में इंडियन नेशनल लोकदल के साथ दोस्ती हो गई है, जबकि झारखंड में वह नए दोस्त की खोज में है। संभव है कि वहा झामुमो, काग्रेस और राजद के साथ गठबंधन करे। विधानसभा के पिछले चुनाव में जदयू के दो विधायक जीते थे। अजरुन मुंडा की सरकार में जदयू विधायक राजा पीटर मंत्री बने। अब राजा पीटर भाजपा में चले गए हैं। झारखंड विधानसभा में जदयू की एकमात्र विधायक सुधा चौधरी हैं। कुछ दिन पहले तक जदयू और झारखंड विकास मोर्चा के बीच चुनावी तालमेल की गुंजाइश बनी थी। फिलहाल गतिरोध है। जदयू का आकलन है कि झाविमो की भाजपा से नजदीकी बढ़ सकती है। ऐसी हालत में जदयू को भाजपा विरोधी गठबंधन में शामिल होना पड़ेगा। झारखंड में झामुमो, काग्रेस और राजद गठबंधन ही भाजपा के विरोध में है। झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन और झाविमो सुप्रीमो बाबू लाल मराडी के साथ पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बेहतर संबंध रहे हैं। कुमार 2000 में सात दिनों के लिए मुख्यमंत्री बने थे तो उन्हें झामुमो का साथ मिला था। वह कुमार के मंत्रिमंडल में भी शामिल था। वैसे, मराडी भाजपा के साथ गठबंधन नहीं बनाते हैं तो जदयू उनसे दोस्ती को प्राथमिकता देगा। झामुमो वाले गठबंधन में पहले से ही सीटों को लेकर मारामारी है। हरियाणा में काग्रेस विरोधी इनलोद के साथ जदयू के गठबंधन के बाद झारखंड में जदयू के प्रति काग्रेस का रुख कड़ा हो सकता है। ऐसी हालत में जदयू झारखंड के दूसरे दलों के साथ समझौते की कोशिश कर सकता है। तब आजसू पार्टी से उसका गठबंधन हो सकता है।