एक्सपायरी बदल बेची जा रहीं महंगी एंटीबायोटिक
पटना : अधिक पैसे कमाने के फेर में एक्सपायर्ड दवा की तिथि बदल बाजार में उतारने वाले थोक दवा विक्रेता का भांडा बुधवार को फूट गया। शाम करीब चार बजे औषधि विभाग की टीम दलबल के साथ पहुंची और सटीक सूचना के आधार पर गोपनीय भंडार कक्ष तक पहुंच गई। यहां उसे तिथि साफ करने के लिए भारी मात्रा में थिनर, ब्लेड व रेट एवं तिथि बदलने को टैग के साथ चिकित्सकों के सैंपल की दवाएं मिलीं। भंडारगृह में करीब 30 लाख से अधिक की उच्च क्षमता वाली महंगी एंटीबायोटिक, बीएमएसआइसीएल का लोगो लगीं एंटी स्नेक वेनस सिरम आदि जब्त की गई। औषधि विभाग दवाओं का सीजर बनाने में जुटा है। हालांकि, धावादल के हाथ दुकान मालिक या कोई कर्मचारी हाथ नहीं लगा है।
क्या है मामला
गोपनीय सूचना के बाद औषधि नियंत्रक हेमंत कुमार सिन्हा विगत पांच दिनों से एक्सपायर्ड, सैंपल व घटिया गुणवत्ता के बड़े कारोबारी की सुरागकशी में लगे थे। लेकिन, जहरीली दवाओं का कारोबार करने वाला जय हनुमान फार्मा का स्टोर उनकी निगाह से बचा था। बुधवार को सूत्र से स्टोर तक पहुंचने की सटीक जानकारी मिलने के बाद ड्रग लाइसेंसिंग अधिकारी शहर सुभाष चंद्र राय के नेतृत्व में औषधि निरीक्षकों की एक टीम बनाई गई। हालांकि धावादल को देखते ही जय हनुमान फार्मा के मालिक बाप-बेटे व कर्मचारी फरार हो गए।
काले कारोबार की नायाब जगह :
गोविंद मित्रा रोड स्थित मंदिर के सामने राणा प्रताप के मकान में जय हनुमान फार्मा का स्टोर रूम था। अंडर ग्राउंड में जाने के बाद सीढ़ी से चढ़ने के बाद साइड में ऐसा गेट था, जिसे देखना संभव नहीं था। थोड़ा चढ़ने पर कमरे के बजाय मचान जैसा अहसास होता था। लेकिन अंदर जाने पर एक बड़ा कमरा था, जो छत तक दवाओं से खचाखच भरा था।
कई दवाओं के एक वाइल की कीमत ढाई हजार से अधिक :
स्टोर की जांच में औषधि विभाग की टीम को पता चला कि इनमें से अधिकांश दवाएं हाई पावर की बहुत महंगी एंटीबायोटिक हैं। इसमें से कई की कीमत ढाई हजार से अधिक थी। इनमें से प्रेगनेंसी में काम आने वाली एंटी डी, एंटी स्नेक वैक्सीन आदि शामिल हैं।
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सरकारी दवाएं भी थीं स्टोर में :
छापेमारी में जब्त की गई एंटी स्नेक वेनस सीरम में सरकारी अस्पतालों के लिए दवा-उपकरण खरीदने वाली एजेंसी बीएमएसआइसीएल का लोगो भी लगा था। हालांकि बहुतों में इसे मिटाने या काटने का प्रयास किया गया था। बताते चलें कि बाजार में इसकी एक वाइल का रेट 500 से 700 रुपए तक होता है।
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दवा का काला कारोबार करने वालों पर कड़ी नजर रखी जा रही है। कार्पोरेशन का लोगो लगी दवाएं कहां से आई, इसके लिए कार्पोरेशन को बैच नंबर देकर कहां सप्लाई की गई थी, मालूम किया जाएगा। संभवत: ये दवाएं अस्पताल से ही यहां पहुंची हैं।
हेमंत कुमार सिन्हा, औषधि नियंत्रक
बड़े के फेर में छोटी मछली भी फंसी
बड़े कारोबारी की सुरागकशी के दौरान चार दिन पहले ही दादी जी फार्मा में भी नन बिलिंग समेत कुछ संदेहास्पद दवाएं पकड़ी गई थीं। औषधि विभाग ने इन दवाओं के सैंपल जांच को प्रयोगशाला भेजे हैं।