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जागरूक हुई जनता, जानी वोट की कीमत

By Edited By: Published: Wed, 23 Apr 2014 01:58 PM (IST)Updated: Wed, 23 Apr 2014 01:58 PM (IST)

तत्हीर/ रोशन, पटना : लोकसभा चुनाव को ले गुरुवार को हुए मतदान में बड़ी संख्या में मतदाता बूथों तक गए। अपने मताधिकार का प्रयोग किया। मतदान फीसद भी बढ़ा। आखिर ऐसा क्यों हुआ? इस विषय पर हमने राजधानी के कुछ प्रबुद्ध नागरिकों से बातचीत की। सबने माना कि मतदाताओं को जागरूक करने के लिए चलाए गए अभियान का असर पड़ा। लोग जागरूक हुए हैं, उन्हें अपने मताधिकार की ताकत का अहसास हुआ है। लोगों ने बड़ी संख्या में परिवर्तन कलिए वोट डाला।

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मीडिया ने निभाई अहम भूमिका

मीडिया ने इस बार जनता को काफी जागरूक किया है। यहां तक कि एफएम चैनल पर भी लगातार लोगों से मतदान की अपील की गई। यह वोट प्रतिशत बढ़ने की बड़ी वजह है। लोग देश में परिवर्तन चाहते हैं, शायद इसलिए भी बड़ी संख्या में वोट डालने निकले। युवा आगे आए, और अपने हक का इस्तेमाल किया है। अगर मतदाता सूची में गड़बड़ी नहीं होती तो वोटिंग का प्रतिशत और बढ़ता। कई युवाओं का नाम वोटर लिस्ट में नहीं जुड़ पाया।

डा. अरुणा चौधरी, विभागाध्यक्ष, मैथिली, मगध महिला कॉलेज

त्रस्त होकर जनता ने किया वोट

जनता त्रस्त है। भ्रष्टाचार और महंगाई ने लोगों का जीना हराम कर दिया है। जनता परिवर्तन चाहती है। युवा देश में बदलाव चाहते हैं। महिलाओं ने अपनी सुरक्षा के लिए घर से निकलकर वोट किया है। ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएं देश की व्यवस्था से ज्यादा परेशान हैं। इसलिए वहां बड़ी संख्या में उन्होंने वोट किया। इस बार देश के हाल से परेशान होकर मध्यम वर्ग ने वोट किया क्योंकि अब महंगाई उनकी थाली तक आ गई थी।

डा. चित्रा वैश्य, मनोविज्ञान विभाग, अरविंद महिला कॉलेज

स्वस्थ लोकतंत्र के लिए किया वोट

महंगाई बहुत बढ़ गई। ऐसा लग रहा है कि हम लोकतांत्रिक देश में नहीं जी रहे। आम जनता त्रस्त है। महिलाएं अपनी सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं। शायद इसी वजह से उनमें अपने अधिकार के प्रति जागरूकता आई। उन्होंने बड़ी संख्या में वोट किया। इस बार निर्वाचन आयोग ने जनता के बीच जागरूकता अभियान चलाया। मीडिया ने जागरूक किया। इस बार उन लोगों ने भी वोट किया जिन्हें लगता था उनके वोट करने से क्या फर्क पड़ेगा?

डा. सुहेली मेहता, गृहविज्ञान विभाग, मगध महिला कॉलेज

प्रचार के अनुपात में नहीं पड़े वोट

इस बार मतदान के लिए लोगों में जागरूकता फैलाने को काफी प्रयास किए गए। हालांकि उस अनुपात में पोलिंग नहीं हुई। न्यूज चैनलों के साथ बड़े कॉरपोरेट घरानों ने लोगों को वोट डालने को प्रेरित किया। इस पूरे प्रचार अभियान का सबसे अधिक असर ग्रामीण इलाकों पर पड़ा। इसलिए वहां वोट प्रतिशत शहरी क्षेत्रों की अपेक्षा अधिक रहा। शहर के लोग मतदान के दिन सिर्फ छुट्टी मनाते हैं। इस बार मतदाता सूची से कई लोगों का नाम हटा दिया गया। जिसकी वजह से कई लोग बूथ से निराश वापस लौटे।

डा. शशि शर्मा, विभागाध्यक्ष, राजनीति विज्ञान, मगध महिला कालेज

यह है बदलाव की छटपटाहट

देश की जनता में बदलाव की छटपटाहट है। मौजूदा सत्ता के विरोध में वोटिंग प्रतिशत में उछाल आया है। मुझे नहीं लगता कि सिर्फ निर्वाचन आयोग द्वारा मतदाता जागरूकता अभियान कार्यक्रम के कारण वोटिंग में तेजी आयी है। लोगों में राजनीति के प्रति दिलचस्पी बढ़ी है। अब लोग समाजिक मुद्दों को लेकर भी संवेदनशील दिखते हैं। समय के साथ वोटिंग में यह उछाल बढ़ और घट भी सकता है।

प्रो. नवल किशोर चौधरी, प्राचार्य, पटना कॉलेज

जनता हुई है जागरूक

पिछले पांच सालों में जनता जागरूक हुई है। वह अपने मतदान की अहमियत समझने लगी है। मतदाताओं को जागरूक करने के लिए निर्वाचन आयोग का अभियान भी काम आया है। हालांकि समय के साथ इसमें और भी तेजी आनी चाहिए। पोलिंग बूथ यदि घर से सौ या दो सौ मीटर के दायरे में हो तो मतदान का प्रतिशत और बढ़ेगा।

प्रो आरके वर्मा, प्रति कुलपति, पटना विवि


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