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अंगरक्षक के असलहों के साथ धराया बिल्डर

By Edited By: Published: Tue, 15 Apr 2014 08:21 PM (IST)Updated: Tue, 15 Apr 2014 08:21 PM (IST)
अंगरक्षक के असलहों के साथ धराया बिल्डर

पटना : कंकड़बाग पुलिस ने ओल्ड बाइपास के पास वाहन चेकिंग के दौरान बिल्डर प्रभात कुमार रंजन उर्फ उदय सम्राट (घोषी, जहानाबाद) को असलहों के साथ दबोच लिया। उसके पास से बरामद रिवाल्वर व 20 जिंदा कारतूस रिटायर्ड आर्मी जवान राम प्रताप सिंह का है। बिल्डर के मुताबिक सिंह उसका निजी अंगरक्षक है। पुलिस ने आ‌र्म्स एक्ट एवं अचार संहिता उल्लंघन करने की धारा 188 के तहत प्राथमिकी दर्ज कर बिल्डर को गिरफ्त में ले लिया।

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चुनाव को लेकर शहर में चल रही वाहन चेकिंग के दौरान कंकड़बाग पुलिस ने मंगलवार तड़के डॉ. आरएन सिंह मोड़ पर तेज रफ्तार में जा रही हुंडई की इओन कार को रुकने को कहा। लेकिन चालक ने गलत दिशा में गाड़ी मोड़ ली। इसके बाद पुलिसकर्मियों ने दौड़कर वाहन को रोक लिया। प्रभात कार चला रहा था। उसने कमर में विंडोली बांध रखी थी, जिसमें रिवाल्वर व बीस जिंदा कारतूस मिले। पूछताछ में प्रभात ने बताया कि असलहा उसके निजी अंगरक्षक राम प्रताप सिंह का है। प्रभात के बुलाने पर सिंह भी थाने पहुंच गया। उसने पुलिस के समक्ष हथियार का लाइसेंस भी प्रस्तुत किया। लाइसेंस देहरादून का है, पर उसने अपने पैतृक जिला वैशाली में इंट्री करा रखी है। हालांकि चुनाव से पहले उसने हथियार का सत्यापन नहीं कराया। वहीं बिल्डर का कहना है कि कुम्हरार में उसकी कंस्ट्रक्शन साइट है। वह वहीं से जगदेव पथ स्थित घर लौट रहा था। उसकी कार के आगे सफारी स्ट्रॉम में उसका पार्टनर और अंगरक्षक सवार थे। पुलिस ने सफारी को नहीं रोका। जब उसकी कार रोकी गई, तब तक सफारी काफी दूर निकल चुकी थी। हालांकि उसके बुलाने पर दस मिनट में अंगरक्षक और उसके मित्र थाना पहुंच गए। उसकी मानें तो असलहे उसने कमर में नहीं बल्कि कार के डैस बोर्ड में रखे थे। थानाध्यक्ष अरुण कुमार गुप्ता ने बताया कि चुनावी माहौल में दूसरे का लाइसेंसी हथियार लेकर खुलेआम घूमने के आरोप में प्रभात को गिरफ्तार कर लिया गया है। मामले की छानबीन की जा रही है।

लोस चुनाव लड़ चुका है प्रभात

प्रभात उर्फ उदय सम्राट ने जहानाबाद लोकसभा क्षेत्र से वर्ष 2009 में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा था। प्रभात के मुताबिक प्रशासन की ओर से उसे सरकारी अंगरक्षक भी मुहैया कराया गया था। हालांकि बल की आवश्यकता पड़ने पर उससे सरकारी अंगरक्षक छीन लिया गया। लेकिन, दोबारा सरकारी अंगरक्षक देने की मांग करते हुए उसने जिलाधिकारी के समक्ष आवेदन दे रखा है। राम प्रताप सात साल से उसका निजी अंगरक्षक है।


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