स्वास्थ्य विभाग ने डॉक्टरों के लिए तलाशे दुर्गम इलाके
पटना : राज्य के दुर्गम इलाकों में काम कर चुके चिकित्सकों को पोस्ट ग्रेजुएट (पीजी) कोर्स में प्रवेश के लिए भारतीय आयुर्विज्ञान परिषद में तीस अतिरिक्त अंक देने का निर्देश दिया था। लेकिन हाल तक दुर्गम इलाकों को चिह्नित किया जाना संभव न होने की वजह से राज्य के किसी चिकित्सक को इसका लाभ नहीं मिल पाया था। अब इसे तलाश (चिह्नित) लिया गया है।
दुर्गम क्षेत्रों को पांच श्रेणियों में विभाजित कर अधिसूचना जारी की गयी है। इसमें पहाड़ी, वनाच्छादित, दियारा, ऐसे इलाके जो सड़कों से जुड़े न हों तथा बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों को शामिल किया है। पहाड़ी इलाकों में कैमूर के अघौरा, लखीसराय के सूर्यगढ़ा के अलावा गया के फतेहपुर, बांकेबाजार, टनकुप्पा, गोहरा, नीमचक बथानी, डुमरिया को शामिल किया है। गया के मोहनपुर, बाराचट्टी, फतेहपुर, इमामगंज, बांका के चानन पश्चिम चंपारण के बगहा को वनाच्छादित क्षेत्र, वैशाली के राघोपुर, बेगूसराय के साम्हो, बलिया, साहेबपुर कमाल, बछवाड़ा, लखीसराय के सिमरिया व बड़हिया को दियारा इलाके में रखा गया गया है। इसी तरह पश्चिम चंपारण के ठकराहा, भितहा, पिपरासी, मधुबनी, शिवहर के तरियानी, सुपौल के निर्मली, लखीसराय के सूर्यगढ़ा, मधुबनी के लावनिया व मधुबनी के बाबूबरही को सड़क से जुड़े न होने की वजह से दुर्गम क्षेत्र माना गया है। वहीं खगड़िया के अलौली, बेलदौर, चौथम, गोगरी, सहरसा के महिषी, नवहट्टा, सलखुआ, मधेपुरा के आलमनगर, उदाकिशुनगंज, मुंगेर के भरियारपुर, टेटियामुंबर, सदर प्रखंड, दरभंगा के कुशेश्वर स्थान, कुशेश्वरस्थान सतीघाट, किरतपुर, गौड़ाबोरान, मधुबनी के मधवापुर, लौकही, घोपरडीहा, अघरा टाढ़ी, बेनीपट्टी, मधेपुरा व लखनोर को बाढ़ प्रवण होने की वजह से दुर्गम क्षेत्र की श्रेणी में रखा गया है।
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