फर्जी शिक्षकों पर होगी कार्रवाई
नवादा। प्रखंड के 12 नियोजित शिक्षकों को जिला पदाधिकारी से वेतन मांगना महंगा पड़ा। जब उनके व
नवादा। प्रखंड के 12 नियोजित शिक्षकों को जिला पदाधिकारी से वेतन मांगना महंगा पड़ा। जब उनके वेतन भुगतान के लिए प्रखंड विकास पदाधिकारी रवि जी ने कागजात की खोज की तो पता चला कि इन सभी का फोल्डर 29 का कालम ही खाली है। जिसके कारण तत्कालीन डीइओ ने इनकी नियुक्ति को रद कर दिया था। बावजूद भी स्थानीय पदाधिकारियों व जनप्रतिनिधियों की मिलीभगत से इनकी नियुक्ति 2012 के प्रखंड शिक्षक नियोजन के तहत 2015 में कर दिया गया। तब से ही इनका वेतन का भुगतान नहीं हो रहा है। बीडीओ ने जब इसकी जांच के लिए बीआरसी में उन तमाम नियोजित शिक्षकों को शैक्षणिक व प्रशैक्षणिक प्रमाण पत्र के साथ बुलाया तो मात्रा 7 ही पहुंचे। शेष अनुपस्थित रहे। इन सातों में एक मात्र एरूरी के हिमांशु भुषण कुमार की नियुक्ति ठीक पाया गया है बाकी सभी में फर्जीवाड़ा है। पांच और बचे शिक्षिकों को 29 सितम्बर तक अपना प्रमाण पत्र दिखाने का समय दिया गया है। अगर वे नहीं आते हैं तो समझा जाएगा कि उनका भी प्रमाण पत्रा गलत है और सीधे कार्रवाई के लिए जिला पदाधिकारी को लिखा जाएगा। बता दें कि जांच टीम में प्रभारी बीईओ गीता कुमारी एवं जेपीएस गौरव कुमार को भी शामिल किया गया था। नियोजन में मेघा सूची के अनुमोदन में विकलांग सीट से 50 प्रतिशत विकलांग रहे विकास कुमार का नियोजन नहीं किया गया। जबकि कम विकलांगता 40 प्रतिशत वाले विजय कुमार को नियुक्ति पत्र दे दिया गया। बीडीओ ने कहा की जांच के दौरान अभी तक जो मामला सामने आया है उससे स्पष्ट हो रहा है की उक्त शिक्षक नियोजन में भारी फर्जीवाड़ा है। पूरा मामला जल्द ही उजागर होगा। जिनका जांच होना है उनमें प्रखंड के उत्क्रमित विद्यालय डोला के पुरूषोतम कुमार,कबला की ¨पकी कुमारी,मेघीपुर के राकेश कुमार, बेलखुंडा के रामाकांत प्रसाद, धेवधा की ज्योती कुमारी, ढोढा की सुनिता कुमारी, एरूरी की हिमांशु भुषण कुमार, जसत के पप्पू कुमार झा, महनाजीतपुर के विजय कुमार, सिलौर के शैलेश कुमार रवि, गुलनी की स्नेहलता कुमारी शामिल है। इस जांच से प्रखंड के अन्य अवैध रूप से बहाल शिक्षकों में हड़कम्प है। जानकारों की मानें तो एक ही टीईटी के प्रमाण पत्र पर कई शिक्षक बहाल हैं। कई ऐसे भी शिक्षक हैं उनके पास नियुक्ति के प्रमाण पतरा है और उन्हें अभी तक विद्यालय में प्रधान शिक्षकों के द्वारा उनका योगदान नहीं कराया गया है। वे अपना एक अलग पंजी पर हस्ताक्षर बना रहे हैं। कई-कई के तो सभी प्रमाण पत्र मैट्रिकि से लेकर टीईटी तक के जाली हैं। कई जगहों पर तो पत्नी के जगह पति ही क्लास ले रहे हैं। यह तब ही सभंव है इनके संबधित पदाधिकारी इन पर मेहरबान हैं।