2017 की परीक्षा में 2016 का प्रश्न पत्र
एक तरफ सूबे के शिक्षा मंत्री मैट्रिक की तर्ज पर नौंवी की वार्षिक परीक्षा आयोजित करने की बात कह रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ जिले की शिक्षा महकमा ने अपने ही मंत्री के दावों की हवा निकाल रखा है।
नवादा। एक तरफ सूबे के शिक्षा मंत्री मैट्रिक की तर्ज पर नौंवी की वार्षिक परीक्षा आयोजित करने की बात कह रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ जिले की शिक्षा महकमा ने अपने ही मंत्री के दावों की हवा निकाल रखा है। कुव्यवस्था का आलम यह है कि 2017 की परीक्षा में बच्चों को वर्ष 2016 का सवाल थमा दिया गया। यानि कि बच्चों को पिछले साल का प्रश्न पत्र उपलब्ध कराया जा रहा है। लिहाजा स्कूली बच्चे खुद को असहज महसूस कर रहे हैं। जागरण टीम ने जिले के विभिन्न विद्यालयों की पड़ताल की तो कुछ ऐसा ही ²श्य सामने आया। जिससे नौंवी की वार्षिक परीक्षा एक मजाक साबित हो रहा है।
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क्या है मामला
- जिले के सभी उच्च विद्यालयों में नौंवी की वार्षिक परीक्षा आयोजित की जा रही है। जिले के कई विद्यालयों में वर्ष 2017 के प्रश्न पत्र बांटे गए तो कई विद्यालयों में वर्ष 2016 का ही सवाल बच्चों को थमा दिया गया था। नगर के प्रोजेक्ट कन्या इंटर विद्यालय में छात्राओं को उपलब्ध कराए गए प्रश्न पत्र पर अंकित वर्ष 2016 को कलम से काटकर 2017 कर दिया गया। वहीं आंती विद्यालय में बच्चों को उपलब्ध कराए गए प्रश्न पत्र पर 2016 ही अंकित था। इस तरह ग्रामीण क्षेत्र के कई विद्यालयों में इस तरह की शिकायतें सामने आई हैं।
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परीक्षा में विभाग ही फेल
- वर्ष 2017 की परीक्षा में 2016 का प्रश्न पत्र उपलब्ध कराए जाने से शिक्षा विभाग की किरकिरी हो रही है। इससे साफ होता है कि बगैर पूरी तैयारी किए विभाग ने परीक्षा शुरु करा दी। बच्चे उसी पुराने सवाल के आधार पर कॉपियों में जवाब लिख रहे हैं। अब बच्चे कहां तक सफल होंगे यह तो समय बताएगा, लेकिन जो कारनामा हुआ है उससे शिक्षा विभाग ही फेल दिख रहा है।
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कहते हैं डीईओ
- प्रश्न पत्र उपलब्ध कराना जिला माध्यमिक शिक्षक संघ का काम था। अगर पिछले साल के सवाल उपलब्ध कराए जा रहे हैं तो इसकी जांच होगी। मामले में चाहे जो भी दोषी हो, उनपर कार्रवाई की जाएगी। इस गड़बड़ी में अगर महकमे के अधिकारियों की भी संलिप्तता है तो उनके विरुद्ध भी कार्रवाई होगी।
गोरख प्रसाद, जिला शिक्षा पदाधिकारी, नवादा।
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कहते हैं जानकार
-गत वर्ष प्रश्न पत्रों की छपाई हुई थी। लेकिन परीक्षा का आयोजन नहीं हो सका था। ऐसे में गत वर्ष का प्रश्न पत्र पड़ा हुआ था। जिसका इस्तेमाल कुछ विद्यालयों में किया जा रहा है। प्रश्न पत्र की व्यवस्था करना प्रधानाध्यापक की जिम्मेवारी होती है। बच्चों से परीक्षा शुल्क की वसूली प्रधानाध्यापक ही करते हैं।
शिव कुमार प्रसाद, सेवानिवृत शिक्षक।