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बिजली संकट गहराया, पेयजल को मचा हाहाकार

नवादा। जिले में मौसमी पारा नित्य सातवें आसमान को छू रही है। कड़ी धूप व हीट वेव ने लोगों

By Edited By: Published: Wed, 27 Apr 2016 07:52 PM (IST)Updated: Wed, 27 Apr 2016 07:52 PM (IST)
बिजली संकट गहराया, पेयजल को मचा हाहाकार

नवादा।

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जिले में मौसमी पारा नित्य सातवें आसमान को छू रही है। कड़ी धूप व हीट वेव ने लोगों की मुश्किलें बढ़ा दी है। वहीं बिजली जले पर नमक छिड़कने का काम कर रही है। जिससे लोगों की परेशानियां कई गुणा बढ़ गई है। आलम यह है कि लगातार कई घंटों तक बिजली गुल रह रही है। शहर के तीन नंबर फीडर की स्थिति सबसे खराब है। इस फीडर में बुधवार को दिन भर बिजली रानी के दर्शन नहीं हुए। वैसे एक व दो नंबर फीडर की भी कमोबेश यही स्थिति है। बिजली कब आयेगी और कब जायेगी, कहना मुश्किल है और बिजली आ भी गई तो कितने देर तक टिकेगी, इसका कोई हाल लेने वाला नहीं है। भीषण गर्मी के बीच बिजली की दयनीय स्थिति ने लोगों को परेशान कर रखा है। बिजली संकट गहराने के साथ ही पेयजल को हाहाकार मच गया है। बुधवार को लोग पानी भरने के लिए चापाकलों की ओर दौड़ लगाते नजर आये। पानी लेने को आपाधापी मची रही। बता दें कि नगर में अधिकांश लोग मोटर पर आश्रित रहते हैं। यानि कि बिजली आपूर्ति हुई तो पीने का पानी मिलेगा और बिजली बंद तो पानी बंद की स्थिति हो जाती है। गौरतलब है कि पिछले कई दिनों से जिले में लोग भीषण गर्मी से जूझ रहे हैं। चिलचिलाती धूप व गर्म हवा के बहने से जनजीवन प्रभावित होकर रह गया है। ऐसे में बिजली की किल्लत झेल रहे लोगों में आक्रोश पनपता जा रहा है। सिर्फ जिला मुख्यालय ही नहीं, ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली चरमरा गई है। जिससे लोगों को संकटों का सामना करना पड़ रहा है। एक ओर इंद्र भगवान नाराज हैं, दूसरी ओर बिजली रानी भी दगा दे रही है। लिहाजा गर्मा मूंग, गर्मा सब्जी, ढैंचा व मक्का की खेती के लिए पटवन नहीं हो पा रहा है। जिससे किसानों को समक्ष बड़ी समस्या उत्पन्न हो गई है।

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विभागीय अधिकारी बने हैं लापरवाह

- भीषण गर्मी के बीच शहरवासी बिजली संकट से जूझते रहे। लेकिन बिजली विभाग के अधिकारी चैन की नींद लेते रहे। आलम यह है कि मीडिया कर्मी से लेकर कई प्रशासनिक अधिकारी भी बिजली आपूर्ति की सही स्थिति जानने के लिए परेशान रहे। विद्युत विभाग के कार्यपालक अभियंता को कई बार फोन लगाया गया, लेकिन उन्होंने मोबाइल रिसीव कर जवाब देना भी मुनासिब नहीं समझा। मोबाइल की घंटिया घनघनाती रही। लेकिन साहब नींद में इस कदर थे कि मानों उनके उपर कोई जिम्मेवारी ही नहीं है। जिला सूचना जनसंपर्क पदाधिकारी परिमल कुमार ने भी विद्युत विभाग के कार्यपालक अभियंता को फोन लगाया, लेकिन उनके मोबाइल को भी रिसीव नहीं किया गया।

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65 मेगावाट बिजली की है जरुरत

- जिले में पर्याप्त बिजली आपूर्ति के लिए 65 मेगावाट बिजली की जरुरत है। लेकिन वर्तमान में जिले को कितना मेगावाट बिजली मिल रही है, यह बता पाना मुश्किल है। अधिकारी कुछ भी बताने से कतरा रहे हैं। ऐसे में बिजली का आवंटन कम हो रहा है या स्थानीय स्तर पर तकनीकी समस्या है, इसकी जानकारी देने को कोई तैयार नहीं है। शायद बिजली विभाग सहित अन्य कुछ विभागों के अधिकारी मीडिया को जनोपयोगी जानकारी देना उचित नहीं समझते हैं। इसके पहले सदर अस्पताल उपाधीक्षक का कुछ इसी प्रकार का रवैया सामने आ चुका है।

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