असुरक्षा में जी रहे ¨जदल कंपनी के अधिकारियों ने भेजा इस्तीफा
नवादा। रजौली में वाटर ट्रीटमेंट प्लांट का काम करा रहे ¨जदल कंपनी के अधिकारियों ने अब
नवादा। रजौली में वाटर ट्रीटमेंट प्लांट का काम करा रहे ¨जदल कंपनी के अधिकारियों ने अब अपना इस्तीफा भेजना शुरू कर दिया है। कंपनी के हेडक्वार्टर को भेजे जा रहे इस्तीफा में संबंधित अधिकारियों ने कहा है कि असुरक्षा के माहौल में काम करा पाना मुश्किल है। प्रशासन सुरक्षा दे नहीं रही है और काम कराने पर जोखिम है। जिन्दल कंपनी के एक वरीय अधिकारी ने बताया कि इस्तीफा भेजने वालो में कुल 15 अधिकारी व कर्मी शामिल हैं। जिसमें कम्पनी के डीजीएम, प्रोजेक्ट मैनेजर, इंजीनियर तक शामिल बताए गए हैं। कंपनी के अधिकारी ने अपने लिखित आवेदन में कहा है कि हमलोगों को जबतक पुलिस की सुरक्षा मुहैया नहीं करायी जायेगी तबतक वाटर ट्रीटमेन्ट प्लान्ट का निर्माण कार्य करा पाना संभव नहीं है।
मांगी गई है 10 करोड़ की लेवी
-उल्लेखनीय है कि नक्सलियों द्वारा कार्ययोजना का करीब 10 फीसदी राशि बतौर लेवी की मांग की गई है। लेवी की रकम 10 करोड़ रुपए के करीब है। लेवी मांगने वालों द्वारा फुलवरिया में रिफायनरी कुआं का निर्माण में लगे कर्मियों के साथ मारपीट की गई थी, और काम को बंद करा दिया था। करीब 8 दिनों से कार्य बंद है। लेकिन प्रशासन कंपनी के कर्मियों व मजदूरों को सुरक्षा नहीं दे रही है।
पुलिस में दर्ज करायी गई है रिपोर्ट
कंपनी के प्रोजेक्ट मैनेजर लोकेश कुमार द्वारा रजौली थाने में 19 तारीख को लेवी मांगने व मारपीट करने की प्राथमिकी दर्ज करायी गयी थी। लिखित आवेदन में लोकेश ने कहा था कि हमलोगों की जान को खतरा है। हमलोगों को सुरक्षा मुहैया करायी जाय। लेकिन प्राथमिकी दर्ज कराने के आठ दिन बाद भी किसी प्रकार की सुरक्षा नहीं दी गयी है। जिसके कारण कंपनी के अधिकारी से लेकर कर्मी तक काम छोड़कर अपने-अपने घर चले गए है।
खटाई में पड़ सकती है योजना
- योजना खटाई में पड़ती दिख रही है। कंपनी के अधिकारियों का कहना है कि इस परियोजना पर 80 प्रतिशत राशि खर्च की जा चुकी है। कम्पनी के एक अधिकारी ने बताया कि हमलोग लगभग 80 करोड़ रुपये का मेटेरियल, लेबर चार्ज खर्च कर चुके है। ऐसे में काम बंद होना कम्पनी के लिए काफी नुकसानदेह होगा। वाटर ट्रीटमेंट प्लांट का काम बंद होने से रजौली वासियों को भी भारी नुकसान होगा।
क्या है योजना
-इस योजना के तहत रजौली प्रखण्ड के 90 गांवों को शुद्ध पेयजल नल द्वारा घर-घर तक पहुंचाने का लक्ष्य है। जिस पर ग्रहण लग गया है। बताते चले कि इस योजना को रजौली प्रखण्ड में इस लिए लाया गया था कि अधिकांश गांवों में पेयजल की सुविधा नहीं है। जहां है भी तो पानी में फ्लोराईड की मात्रा अत्यधिक है। जिसके वजह से कई गांवों के लोग विकलांग हो चुके हैं।