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यहां पूरे होने लगे खेलकूद के अधूरे अरमान

नवादा। बाल मन के अधूरे अरमानों को पूरा करने के लिए दैनिक जागरण द्वारा चलायी जा रही मुहि

By Edited By: Published: Thu, 11 Feb 2016 09:14 PM (IST)Updated: Thu, 11 Feb 2016 09:14 PM (IST)
यहां पूरे होने लगे खेलकूद के अधूरे अरमान

नवादा। बाल मन के अधूरे अरमानों को पूरा करने के लिए दैनिक जागरण द्वारा चलायी जा रही मुहिम मुहिम का प्रतिफल सामने आने लगा है। एक-एक कर स्कूल में बजने बाली खेल की घंटी की आवाज और तेज होती जा रही है। खेल की घंटी बजने से न सिर्फ विद्यालय की रौनक लौट आयी है, बल्कि स्कूल में छात्र-छात्राओं की संख्या भी बढ़ने लगी है। अभिभावकों में भी जागरुकता आयी है। कई विद्यालय में तो खेल के दौरान वे बच्चों को प्रोत्साहित करते देखे जा रहे हैं।

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ग्रामीण क्षेत्र के विद्यालयों में भी होने लगा खेल :

खेल की घंटी की पड़ताल के क्रम में गुरुवार को जागरण की टीम ने रजौली प्रखण्ड के उत्क्रमित मध्य विद्यालय बलिया का जायजा लिया। अपराह्न के ढाई बजे थे। खेल की घंटी बजने में अभी 20 मिनट बाकी था। लेकिन बच्चे अभी से उत्साहित थे। रह-रहकर उनकी नजरें विद्यालय के छोटे मैदान की ओर जा रही थी। तभी समय पूरा हुआ और घड़ी की सुई 2 बजकर 50 मिनट पर पहुंचते ही खेल की घंटी बज गयी। बच्चों को रोकना अब किसी के बस की बात नहीं थी। सभी बसते कमरे में छोड मैदान की ओर दौड़ पडे़। शिक्षक चौकन्ना हो गए थे। बच्चों को चोट न लगे इसलिए उन्हें संभालने में लगे रहे। थोडी देर बाद बच्चों के बीच खेल समाग्री बंट गयी। अपनी-अपनी रुचि के मुताबिक बच्चे ने खेल-कूद शुरु कर दिया। पल भर में ही कबड्डी व क्रिकेट की टीम तैयार हो गयी। लडकियों में कबड्डी तो लकडों में क्रिकेट का जंग शुरु हो गया। किसी ने किसी के पांव खींचे तो किसी ने चौके व छक्के पर ताली बटोरी। खेल के दौरान विपक्षी टीम के धक्का-मुक्की से गिरते उठते बच्चे जीवन में आने वाली कठिनाईयों से संघर्ष करने गुर सिख रहे थे। उत्साह व उमंग के माहौल का आलम यह था कि देखते ही देखते 40 मिनट समय कब गुजर गया किसी को पता भी नहीं चला।

स्कूल में नहीं है खेलने की पर्याप्त जगह :

उत्क्रमित मध्य विद्यालय बलिया के पास बच्चों को खेलने के लिए जगह नहीं है। भवनों से घिरे इस स्कूल की चहारदिवारी तथा स्कूल भवन के बीच महज 100 फीट ही खाली जगह है। यह स्कूल एनएच 31 से महज 3 किलोमीटर दूर है। चहारदिवारी से सटकर भी सड़क गुजरती है। जिससे बच्चे स्कूल के बाहर भी खेल नहीं सकते है। हालांकि अब शिक्षक अपनी देख-रेख में इस खाली जगह में बच्चों को खेलने-कूदने का मौका देने लगे हैं।

कहते है छात्र-छात्राएं :

अब आठवीं घंटी में खेलने-कूदने का मौका मिलने से काफी खुश हूं। पहले स्कूल में हमलोग खेल नहीं पाते थे। लेकिन अब शिक्षक अपनी देख-रेख में खेलने का मौका दे रहे हैं।

संतोष कुमार, वर्ग-8, फोटो-16

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आठवीं घंटी में अपने साथियों के साथ खेलने में काफी मजा आ रहा है। पहले हमलोग स्कूल में खेल नहीं पाते थे। लेकिन अब हमारे स्कूल में भी आठवीं घंटी में खेल-कूद होने लगा है।

रंगीला कुमार, वर्ग-7, फोटो-13

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आठवीं घंटी बजते ही मन उत्साहित हो जाता है। और खेलने में बहुत मजा आता है। पहले आठवीं घंटी नहीं बजती थी। अब बजने लगी है।

उज्जवल कांत, वर्ग-7, फोटो-14

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आठवीं घंटी में कबड्डी खेल कर काफी मजा आया। लेकिन खेलने के लिए कम समय मिला। जगह की काफी कमी है। स्कूल में खेलने के लिए जगह तो होनी ही चाहिए।

तब्बसुम प्रवीण, वर्ग-5, फोटो-15

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कहते हैं शिक्षक

उत्क्रमित मध्य विद्यालय के प्रधानाध्यापक मो. युनूस कहते हैं कि विद्यालय में खेल-कूद गतिविधियां शुरु हो चुकी है। नियमित रुप से यह दैनिक जागरण की अभियान का असर है। जिससे अभिभावक में जागरुकता आयी है। बिना अभिभावक के सहयोग के कोई काम नहीं हो सकता है। अब जागरण ने माहौल बना दिया तो खेल की घंटी अब बजती रहेगी। अभी संसाधन के अनुरुप बच्चों को खेल-कूद कराया जा रहा है। आगे जरुरत के अनुसार संसाधन को बढ़ाया जायेगा। मौके पर शिक्षक अनिल कुमार, उपेन्द्र कुमार, उमेश प्रसाद सिन्हा, मीना कुमारी, अजीत कुमार, सुनील कुमार, आशीष कुमार, संजू देवी, प्रहलाद कुमार, अशोक कुमार आदि उपस्थित थे।

फोटो-17


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