यहां बच्चे करते हैं शिक्षक का इंतजार
नवादा। मेसकौर प्रखण्ड के नौनिहालों का भविष्य शिक्षकों की मनमानी से अंधकार में है। सरकार की तमाम क
नवादा। मेसकौर प्रखण्ड के नौनिहालों का भविष्य शिक्षकों की मनमानी से अंधकार में है। सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद प्रखण्ड के प्रारंभिक विद्यालयों में बच्चों को गुणवता शिक्षा तो दूर शिक्षकों की उपस्थिति में शिक्षा मिलना ही हास्यास्पद प्रतीत होने लगा है। ऐसा दावा इसलिए कि गुरूवार को प्रखण्ड के कई प्रारंभिक विद्यालय में यह सब देखने को मिला। अभिभावकों तथा छात्रों ने जो बताया उससे दावे के साथ इस बात को दुहराया जा सकता है कि शिक्षा विभाग के दावे व हकीकत में फर्क है। स्थिति यह है कि प्रखण्ड के कई विद्यालयों के बच्चे को शिक्षकों का दर्शन यदा कदा ही कर पाते हैं। गुरूवार को नरहट प्रखण्ड से होकर बिजुविगहा मेढ़कुरी होते मेसकौर जाने वाली सड़क के किनारे यूं कहा जाय की आन रोड विद्यालयों के स्थिति का जायजा लिया गया। जिसमें 11 बजे नवसृजित प्राथमिक विद्यालय पाण्डेय बिगहा के परिसर में ही बच्चों को कंचे के साथ खेलता हुआ देखा गया। विद्यालय में साफ -सफाई की स्थिति ऐसी थी कि देखकर ही अंदाजा लगाया जा सकता था की कई दिनों से झाड़ू नहीं लगाया गया है। इस बावत बच्चों से जब पुछताछ किया तो बताया कि सोमवार से विद्यालय बंद है। जबकि विद्यालय में तीन शिक्षक कार्यरत हैं। उसी विद्यालय के एक छात्र ने बताया के चंद फासले पर ही एक और स्कूल है वह भी सोमवार से बंद है। करीब 11:30 में छात्र द्वारा बताये गये विद्यालय का जायजा लिया गया तो कमोवेश वहा की स्थिति भी जस की तस थी। अंतर सिर्फ ये था की पाण्डेय बिगहा में बच्चे विद्यालय परिसर में खेल रहे थे। लेकिन दशरथपुर में बच्चे विद्यालय के समीप के नदी में नंग धडंग होकर स्नान कर रहे थे। विद्यालय के समीप ही आराम फरमा रहे ग्रामीण व अभिभावक छोटू माझी व रमेशर माझी ने बताया कि यहा 4 शिक्षक हैं। गाव में मुसहर जाति की आबादी ज्यादा है। लोग कम पढ़े लिखे हैं। इसलिये शिक्षक कुछ भी समझा कर निकल पड़ते हैं। लोगों ने बताया कि यहा भी सोमवार से ताला नहीं खुला है। मध्याह्न भोजन भी यदा कदा ही बनता है। इसके बाद करीब दो किमी का सफर कर सड़क के किनारे के विद्यालय नवसृजित प्राथमिक विद्यालय पूर्णाडीह का जायजा लेने का प्रयास किया गया। लेकिन यहा जो देखने को मिला वो दातो तले उंगली दबाने को विवश कर दिया। उक्त विद्यालय में 8 शिक्षक कार्यरत थे। लेकिन मात्र एक शिक्षक दिनेश विश्वकर्मा ही उपस्थित थे। शेष 7 का कोई अता पता नहीं था। जब उपस्थित बच्चों का जायजा लिया गया तो मालूम हुआ की विद्यालय में मात्र एक छात्रा ही अभी उपस्थित हुयी है। इस बाबत उपस्थित शिक्षक ने बताया कि वो खुद अभी तुरंत ही विद्यालय पहुंचे हैं कुछ देर में और भी बच्चे उपस्थित हो जायेंगे। उनका कथन सही निकला करीब 5 मिनट के बाद 10 के करीब और बच्चे उपस्थित हो गये। विद्यालय से चंद कदम दूर यूं कहें कि विद्यालय परिसर से सटे एक अभिभाभक से जब विद्यालय में शिक्षकों व मध्याह्न भोजन के बारे में पुछा गया तो उन्होंने भी यही बताया कि कभी भी पूरे शिक्षक उपस्थित नहीं हुये है। मध्याह्न भोजन भी कभी कभार ही बनता है। रोड विद्यालय की उससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि सुदूर क्षेत्र के विद्यालयों में बच्चों का भविष्य कैसा होगा।