नौ माह में दो दर्जन पदाधिकारियों पर गिरी गाज
नवादा। जिले के थानों में थानेदारी करना पुलिस पदाधिकारियों के लिए मुश्किल हो गया है। आये दिन कोई न को
नवादा। जिले के थानों में थानेदारी करना पुलिस पदाधिकारियों के लिए मुश्किल हो गया है। आये दिन कोई न कोई थानाध्यक्ष या तो निलम्बित हो रहे हैं या फिर लाईन हाजिर हो रहे हैं। चंद महीनों में ट्रांसफर पोस्टिंग का असर विधि व्यवस्था संधारण पर भी स्वभाविक रूप से पड़ता है। पुलिस अधीक्षक डा. परवेज अख्तर के 9 माह के कार्यकाल में अबतक कोई दो दर्जन थानाध्यक्ष अथवा समकक्ष पदाधिकारियों के विरूद्ध कार्रवाई से ऐसी स्थिति उत्पन्न हुई है। कौआकोल थाना में पिछले कुछ माह में चार थानेदार आये और गए। जबकि यह इलाका नक्सल प्रभावित है। हाल के दिनों में माओवादियों ने अपने तेवर इस इलाके में दिखाए हैं। अबतक दो थानाध्यक्षों का निलम्बन व एक को लाईन हाजिर किया गया है। कार्रवाई के मामले में पुलिस निरीक्षक भी अछूते नहीं हैं। लगातार कार्रवाई हो रही है तो थानेदारी करने से पुलिस अधिकारी तौबा करने लगे हैं। शुक्रवार को नगर के भीड़ भाड़ वाले इलाके नगर थाना से 300 गज की दूरी पर बैंक ऑफ बड़ौदा के पास से अकबरपुर के दुधैली निवासी मनीष कुमार के स्वीफ्ट वाहन के पीछे का शीशा तोड़ 3.50 लाख रूपये की लूट व्यवस्था की पोल खोलने के लिये काफी है।
-जमे नहीं की गए
- थानाध्यक्षों की हालात यह है कि योगदान के बाद जबतक अपनी पैठ जमाते हैं, या तो किसी न किसी आरोप में निलम्बित होते हैं या हटा दिये जाते हैं। ऐसे में विधि व्यवस्था या अपराध पर काबू पाना संभव नहीं है। इस प्रकार की स्थिति नगर थाना से लेकर जिले के लगभग सभी थानों की है।
बात सबसे बड़े नगर थाना की करें तो थानाध्यक्ष श्रीप्रकाश सिंह का तबादला वारिसलीगंज इंस्पेक्टर के पद पर किया गया। उनके स्थान पर संजीव कुमार गुप्ता को लाया। कुछ माह बाद उन्हें रजौली भेजा गया। इन दिनों अंजनी कुमार थानाध्यक्ष हैं।
नारदीगंज की बात की जाय तो अशोक सिंह चलता कर अकबरपुर के जेएसआई बनाए गए। उनके स्थान पर आये राजेश कुमार चौधरी निलंबित हो गए। राजेश का जगह रूपो के थानाध्यक्ष चंचल कुमार को दिया गया। कुछ माह में ही निलंबित हो गए। उसके बाद मनोज कुमार वहां भेजे गए हैं।
अकबरपुर के थानाध्यक्ष रुप नारायण राम निलंबित हुए। उनके स्थान पर हिसुआ के थानाध्यक्ष उमाशंकर प्रसाद को लाया गया। वे भी निलंबित हुए। माह भर से रंजीत कुमार वहां के थानाध्यक्ष हैं।
कौआकोल के थानाध्यक्ष रहे सुधाकर कुमार निलंबित हुए। उनके स्थान पर चंदन कुमार भेजे गए। वे लाइन हाजिर किये गए। चंदन के जगह मिथिलेश कुमार को भेजा गया। वे भी निलंबित हुए। थानेदारी के लिए दारोगा की खोज हो रही है।
रजौली के थानाध्यक्ष इंस्पेक्टर सुनील कुमार सिंह निलंबित हुए। उनके स्थान पर नगर थानाध्यक्ष संजीव कुमार गुप्ता को भेजा गया है।
कादिरगंज ओपी के वर्मा जी, रंजीत शर्मा व धर्मेद्र कुमार निलंबित हुए तो विनोद कुमार लाईन हाजिर हुए।
इसके अलावा वारिसलीगंज के राजकुमार सिंह, मेसकौर के राकेश रौशन, शाहपुर के रणविजय कुमार, सिरदला के रंजन कुमार, धमौल के सुनील कुमार चौधरी निलंबित अथवा किन्हीं कारणों से लाईन हाजिर किये गये। मुफस्सिल के एनके सिंह भी हटाये गए। कुल जाम 21 दारोगा व इंस्पेक्टर थानाध्यक्ष रहते हुए या तो निलंबित हुए या फिर लाईन हाजिर या किन्हीं कारणों से थानेदारी गवाएं हैं। 14 तो सीधे तौर पर निलंबित हए हैं। सामान्य प्रक्रिया से तबादला हुआ सो अलग। सिर्फ सीतामढ़ी ही ऐसा थाना है जहां के थानाध्यक्ष पर आंच नहीं आई है। वहां के थानाध्यक्ष संजीव मौआर अबतक पद पर बने हुए हैं।
क्या है इन अधिकारियों पर आरोप
- कुछ को छोड़ अधिकांश कर्तव्य में लापरवाही के आरोप में कार्रवाई के शिकार हुए हैं। रजौली के सुनील कुमार सिंह, शाहपुर के रणविजय कुमार, नारदीगंज के चंचल कुमार, अकबरपुर के उमाशंकर प्रसाद आदि गंभीर आरोपों में हटाये गए।