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191 वर्ष बाद अक्षय तृतीया पर दुर्लभ संयोग

रवीन्द्र नाथ भैया,नवादा : इस वर्ष 21 अप्रैल को आने वाले वैशाख शुक्ल पक्ष अक्षय तृतीया पर कई दुर्ल

By Edited By: Published: Thu, 16 Apr 2015 06:22 PM (IST)Updated: Thu, 16 Apr 2015 06:22 PM (IST)
191 वर्ष बाद अक्षय तृतीया पर दुर्लभ संयोग

रवीन्द्र नाथ भैया,नवादा :

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इस वर्ष 21 अप्रैल को आने वाले वैशाख शुक्ल पक्ष अक्षय तृतीया पर कई दुर्लभ अवसरों का संयोग रहेगा। 191 वर्ष बाद ऐसा अवसर प्राप्त होने जा रहा है। सुबह से रात तक दुर्लभ संयोग शुभ संयोग बन रहे है। 21 अप्रैल मंगलवार के दिन कृतिका नक्षत्र,सौभाग्य योग,गज करण,वृषभ राशि के उच्च चन्द्रमा की साक्षी में सुबह 6.15 से दोपहर 11.57 बजे तक स्वार्थसिद्धि तथा दोपहर 11.58से सूर्यास्त तक रवि योग का विशिष्ट संयोग बन रहा है। दूसरी ओर दोपहर में मंलादित्य व बुधादित्य का महायोग भी है।

मुहूर्त चिंतामणि,कौस्तुभ ग्रंथ व नक्षत्र मेखला की गणना के अनुसार मुहूर्त तथा योगों का ऐसा अद्वितीय संयोग दशकों बाद ही आता है। इस शुभ अवसर का लाभ विवाह,गृह प्रवेश,गृहारंभ,उपनयन संस्कार,नवीन वस्तुओं के साथ सोने व पीतल आदि धातुओं की खरीदारी को काफी शुभ माना गया है। ज्योतिषियों के अनुसार ऐसा शुभ संयोग 191 वर्ष बाद आ रहा है। इस कारण इस दिन मागलिक कार्य,दान-पुण्य,भूमि,भवन,वाहन के साथ स्वर्णाभूषण खरीदारी के लिये काफी शुभ है। अक्षय तृतीया का पर्व काल अबूझ मुहूर्त की श्रेणी में आता है। इस दिन किये गये धार्मिक कायरें का अक्षय पुण्य फल प्राप्त होता है। इस दिन खरीदी गयी वस्तु स्थायी समृद्धि प्रदान करती है तो मागलिक कायरें का तीन गुणा अति शुभ फल प्राप्त होता है।

धर्मशास्त्र की मान्यताओं के अनुसार अखरतीज के अवसर पर घर में जल से भरे कलश में सुगंधित द्रव्य व जौ डालकर उस पर ऋतु फल रखें तथा भगवान विष्णु तथा अन्य देवताओं का आह्वान कर पूजा-अर्चना के बाद इसे वैदिक ब्राम्हणों को दान करें। पितरों की तृप्ति तथा प्रसन्नता के लिये गृहस्थ ब्राम्हण को जल से भरे कलश में काली तिल्ली तथा उस पर बीजयुक्त फल रखकर दान करें। ऐसा करने से घर में सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है और यह शुभ मौका 191 वषरें बाद प्राप्त होने जा रहा है।


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