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सभी भाषा की जननी है मगही : यू पन्यालिंकारा

संसू, काशीचक (नवादा): बौद्धिस्ट चाइनिज टेम्पल नव नालंदा महाविहार के मैनजमेंट सचिव भंते यू पन्यालि

By Edited By: Published: Mon, 24 Nov 2014 10:23 AM (IST)Updated: Mon, 24 Nov 2014 10:23 AM (IST)

संसू, काशीचक (नवादा):

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बौद्धिस्ट चाइनिज टेम्पल नव नालंदा महाविहार के मैनजमेंट सचिव भंते यू पन्यालिंकारा ने कहा कि सभी भाषाओं की जननी मगही है। भगवान बुद्ध भी पहली दफा मगही बोले थे। मगही प्राचीन भाषा है। मगही से ही कई भाषाओं की उत्पति हुई है। यू पन्यालिंकारा रविवार को जिले के काशीचक प्रखंड के पार्वती पहाड़ी पर आयोजित कार्यक्त्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि मगही भी विरासत है, जिसे बचाने की जरूरत है। विरासत की अनदेखी से लोग इतिहास की जानकारी से वंचित हो जा रहे हैं। लोगों को इसके लिए आगे आने की जरूरत है।

विशिष्ट अतिथि के रूप में मगध विश्वविधालय बोधगया के संयुक्त परीक्षा नियंत्रक डॉ भारत भूषण ने कहा कि लोग अपनी संस्कृति और विरासत को भूल रहे हैं। धरोहर, संस्कृति और भाषा के संरक्षण के लिए संकल्प लेने की जरूरत है। विदेशी यात्री और विद्वान भारत के विरासत का जितना अध्ययन और आकलन किया है, उतना अब तक भारतीय नहीं कर पा रहे हैं।

कार्यक्त्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार राम रतन प्रसाद सिंह रत्‍‌नाकर ने किया। उन्होंने कहा कि लोकभाषा, लोकसंस्कृति और पुरावशेष की जानकारी के बगैर शिक्षा और संस्कार अधूरी है। मगही भाषा प्राचीन भाषा है। ममता, प्यार और समन्वय का भाव मगही में है। मगध का सास्कृतिक इतिहास गौरवमयी है। जहा कलम मौन हो जाती है वहा पुरावशेष से इतिहास खुलता है।

विरासत बचाओ अभियान के संयोजक डॉ अशोक कुमार प्रियदर्शी ने कहा कि मगध के धरोहर ही देश और दुनिया का इतिहास है, लेकिन अनदेखी के कारण इतिहास धूल धूसरित है। इसके लिए आगे आने की जरूरत है।

कार्यक्त्रम का आयोजन विरासत बचाओ अभियान के तहत परवती पहाड़ी पर मगध के धरोहर बचाओ कार्यक्त्रम का आयोजन किया गया। इस मौके पर नई दिल्ली से प्रकाशित मगही पत्रिका का रजत जयंती अंक का लोकार्पण किया गया। इस मौके पर मगही पत्रिका के संपादक धनंजय श्रोत्रिय ने कार्यक्त्रम का संचालन किया। श्रोत्रिय ने कहा कि मगही पत्रिका का उदेश्य मगही का जन जन तक विस्तार किया जाना है।

कार्यक्त्रम को प्रो शिवेंद्र नारायण सिंह, समन्वयक मिथिलेष कुमार सिन्हा, सह समन्वयक राजेश मंझवेकर, स्वागताध्यक्ष नरेंद्र प्रसाद, युगल किशोर प्रसाद, डॉ किरण शर्मा, डॉ प्रकाष ,अरविंद कुमार आदि ने संबोधित किया।

अब त इस्कूल दालान हो रहल

नवादा 23 नवंबर। परवती पहाड़ी पर आयोजित कार्यक्त्रम में गरगदह कवि सम्मेलन आयोजित किया गया। नालंदा के कवि जयराम देवसपुरी ने कवि के जरिए स्कूली षिक्षा पर प्रहार करते हुए कहा कि खिचडी खाखा के बुतरुआ पहलमान हो रहल, अब त इस्कूल महतोजी के दलान हो गेल। सास पुतोह के रिष्ते पर प्रहार करते हुए कहा कि सभे मिल पुतहुअन खिलाडी अब की करय ससुइया बेचारी।

मगध नटराज नरेन्द्र प्रसाद सिंह ने बिहारी की गौरव को अपने कविता की पंक्तियों से उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि बिहरिया कह के ना हमरा काहे कोय लजइतय बिहरिया कह के ना..। सम्मेलन को आगे बढ़ाते हुए लखीसराय के दयाषंकर बेधडक ने मगही विलाप पेष करते हुए कहा कि कब तक रहबय अज्ञातवास धृतराष्ट् अभी तक बचले हय, इ करतय समूल नाष कुलघातक अभी तक बचले हय..। दहेज प्रथा पर प्रहार करते हुए कहा कि

नयका नोट हजरिया बाबू गिनाय लेलकय हो कउवा अइसन काली दुल्हिन लाय देलकय हो..आगे यह भी कहा कि पढल लिखल बेटा जब भटक जा हय तब करेजवा फट जा हे..।

इस सम्मेलन में जहानाबाद के चितरंजन चैनपुरा, डॉ रविषंकर शर्मा, पटना के राजकिषोर शाही, धनंजय श्रोत्रिय, बुधौल की वीणा कुमारी मिश्रा, समस्तीपुर के प्रो प्रवीण कुमार झा प्रेम, बरवीघा से अरूण साथी, गोपाल निर्दोष, सावन कुमार, डॉ भागवत प्रसाद, रामनरेष सिंह, डॉ संजय कुमार, कृष्ण कुमार भटटा, अमरनाथ सिंह, सचितानंद सितारेहिंद, दषरथ, मिथिलेष सिन्हा, राजेष मंझवेकर, डॉ भागवत प्रसाद, रामस्वरूप सिंह समेत नालंदा, शेखपुरा, लखीसराय, पटना आदि के 32 कवियों ने काव्य पाठ किया।


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