अव्यवस्था से तंग राहत शिविर छोड़ भागे पीड़ित
अशोक कुमार, वारिसलीगंज (नवादा): सरकारी उदासीनता के कारण बाढ़ पीड़ित शुक्रवार को राहत शिविर छोड़ कर चले गये। कहां गये प्रशासन को सही जानकारी नहीं है। भर पेट दाल-भात भी जुटाने में प्रशासन सक्षम नहीं हुई तो कुछ पीड़ित घर को लौटे तो तो कुछ नाते-रिश्तेदारों के पास। वैसे घर लौटकर भी वहां रहना मुश्किल ही है। प्रशासन से घर बनाने के लिए कुछ भी सहयोग नहीं मिला है। बात हो रही दरियापुर के बुनियादी विद्यालय में बाढ़ पीड़ितों के लिए लगाये गये शिविर की। यह शिविर मुख्यत: रामोतार नगर के बाढ़ पीड़ितों के लिए लगाया था। उक्त गांव सकरी नदी के बाढ़ में डूब गया था। महादलितों के कच्चे मकान ध्वस्त हो गये थे। मवेशी बाढ़ के पानी में बह गये थे। करीब 150 परिवारों के छह सौ लोग इस शिविर में रह रहे थे। प्रशासन ज्यादा कुछ नहीं भोजन करा रही थी। भोजन में दाल-भात की व्यवस्था थी। वह भी भर पेट नहीं मिला तो लोग शिविर से खुद व खुद लौट गये। प्रभावित महादलित बताते हैं कि गत दो दिनों से भर पेट भोजन नहीं मिल रहा था। रात अंधेरे में गुजारना पड़ता था। गुरूवार से राशन कम पड़ रहा था। शुक्रवार की सुबह चावल भी कम पड़ गया तो पीड़ित परिवार वहां से चलते बने।
बता दें कि व्यवस्थित शिविर चलाने और भोजन कराने के लिए डीएम, सांसद, विधायक से लेकर मुखिया और प्रखंड प्रशासन के स्तर से बड़ा-बड़ा दावा किया जा रहा था, लेकिन हकीकत शुक्रवार को दोपहर में तब सामने आया जब सभी प्रभावित बगैर किसी को कुछ बताये वहां से चले गये। पीड़ित बांके मांझी, गोरे लाल मांझी, परमेश्वर मांझी, राज कुमार, कमन्न बासो मांझी, नन्दु मांझी, चंदन मांझी आदि ने बताया कि राहत शिविर में गुरुवार तक व्यवस्था ठीक ठाक मिली परन्तु शुक्रवार के दिन में चावल नहीं रहने के कारण आधा पेट खाना मिला। तब मजदूर अपने क्षतिग्रस्त घर को पुननिर्माण व रोजी-रोटी की खोज के लिए वहां से चल दिये।
हालाये है कि जानकी मांझी, वाली मांझी, छोटे मांझी अक्षय मांझी कहते हैं की घर में रखा अनाज, कपड़ा, मुर्गी, सुअर सब बाढ़ का पानी बहा ले गया। प्रशासन सिर्फ आठ दिनों तक भोजन खिला दिया।