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राष्ट्रपति की एक झलक पाने को बेताब रहे ग्रामवासी

नालंदा। मालूम था कि वे अपने महामहिम से नहीं मिल सकते बावजूद सुबह से ही दशरथ ¨सह अपने प्रिय

By Edited By: Published: Sun, 28 Aug 2016 02:50 AM (IST)Updated: Sun, 28 Aug 2016 02:50 AM (IST)
राष्ट्रपति की एक झलक पाने को बेताब रहे ग्रामवासी

नालंदा। मालूम था कि वे अपने महामहिम से नहीं मिल सकते बावजूद सुबह से ही दशरथ ¨सह अपने प्रिय राष्ट्रपति की एक झलक पाने को बेताव थे। धूप व सुरक्षा दोनों ही कड़ी थी। लेकिन इसकी ¨चता कहां थी, वे तो हर हाल में दादा का दर्शन करना चाहते थे। सुरक्षा बलों से नोकझोंक होने के बाद भी वे अपनी जिद पर अड़े रहे। हाथ में माला लिए वे हर बार कार्यक्रम स्थल की ओर बढ़ जाते पर सुरक्षा बलों के आगे उनकी एक न चली। अंतत: वे कार्यक्रम स्थल के पास के खेत में जा बैठे। बार-बार उनके मन में एक ही प्रश्न आता रहा आखिर हम अपने ही घर में अपने अतिथि से क्यों नहीं मिल सकते? वे कहते हैं कि हमने विवि निर्माण के लिए अपने खेत- पैदावार की कुर्बानी दे दी पर आज हमें कोई पूछने वाला कोई नहीं। इस दीक्षा समारोह पर हमारा सम्मान होना चाहिए पर आज हमारे साथ हमारे ही घर में हमारे आने पर पाबंदी है। तभी महामहिम के आने का संकेत मिलता है वे पूरी उर्जा के साथ उठ खड़े होते हैं। मानो वे दादा के पास अपनी अर्जी पहुंचा पाएगे, पर सुरक्षा व्यवस्था को देखकर उनके हौसले परास्त हो गए। उन्होने हेलीकॉप्टर के दीदार कर ही संतोष करना पड़ा। दशरथ ¨सह की तरह ही ऐसे हजारों ग्रामीण सड़को के किनारे दादा का दर्शन के इंतजार में बैठे थे।


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