बीच समर में राजनीतिक परिवर्तन का है जीवंत दस्तावेज
नालंदा। सुशील कुमार मोदी की पुस्तक बीच समर में सामाजिक राजनीतिक परिवर्तनों का जीवंत दस्तावेज
नालंदा। सुशील कुमार मोदी की पुस्तक बीच समर में सामाजिक राजनीतिक परिवर्तनों का जीवंत दस्तावेज है। इस पुस्तक में राजनीतिक तिलिस्म के यथार्थ को रेखांकित किया गया है, जो वर्तमान की राजनीति पर भी एक विहंगम ²ष्टि डालता है। उक्त बातें चित्ति के राज्य संयोजक कृष्णकांत ओझा ने रविवार को आईएमए हॉल में आयोजित सामाजिक, राजनीतिक परिवर्तनों पर आयोजित परिसंवाद में कही।
उन्होंने कहा कि पूर्व उप-मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी की पुस्तक बीच समर में लोकतंत्र को कलंकित करने वाली घटनाओं की याद ताजा कर उसे वर्तमान संदर्भों से जोड़ती है। मुख्य अतिथि सेवानिवृत्त संयुक्त सचिव कमलकांत ने कहा कि श्री मोदी का जियाभोग चार दशकीय कालखंड भारतीय राजनीति में गुणात्मक बदलाव के लिए सदैव याद किया जायेगा। बिहार का छात्र आंदोलन से लेकर बढ़ता भ्रष्टाचार, राजनीति का अपराधीकरण इन्हीं चार दशकों के बीच घटित हुआ है। मौके पर विश्व संवाद के संपादक संजीव कुमार ने कहा कि सुशील कुमार मोदी ने राजनीति और सत्ता के बदलते रूप को न केवल निकट से महसूस किया है, बल्कि जनपत से लेकर विधायिका, न्यायपालिका, कायपालिका और मीडिया तक लोकतंत्र के हर खंभे से जनता के हर पक्ष में अपनी आवाज बुलंद की है। परिसंवाद में परशुराम कुमार, रामशरण प्रसाद, डॉ. सुरेन्द्र कुमार, डॉ. आशुतोष कुमार, डॉ. बच्चू प्रसाद, चन्देशवर प्रसाद वर्मा आदि लोगों ने भाग लिया।