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जान दी जिसने वतन के लिए ...

कुलेश्वरी महोत्सव के दूसरे दिन देश के नामी-गिरामी कवि जब मंच से काव्य पाठ किए। तो दे

By JagranEdited By: Published: Sun, 23 Apr 2017 03:03 AM (IST)Updated: Sun, 23 Apr 2017 03:03 AM (IST)
जान दी जिसने वतन के लिए ...
जान दी जिसने वतन के लिए ...

कैमूर। कुलेश्वरी महोत्सव के दूसरे दिन देश के नामी-गिरामी कवि जब मंच से काव्य पाठ किए तो देश की तरक्की, इंसानियत और सांप्रदायिकता को कसौटी पर खूब कसा। कवि सम्मेलन की अध्यक्षता शेषनाथ ¨सह शरद और संचालन मिथिलेश गहमरी ने किया। कवि शेषनाथ ¨सह शरद ने कहा कि गठबंधन की गांठ में चोर ही चीर हरण है। जहां रहबरी का दर्पण ही सूरज चांद बुझाए। कवियत्री पूनम ने कहा कि पग तल बसा ले रे जननी। शायर फारूख सासाराम की शेर हमारा वतन सबसे उत्तम रहेगा। इस दौरान बिहार, यूपी और झारखंड से आए कवि पूनत श्रीवास्तव, विनय बहुरंग, शैलेंद्र कुमार, फजीहत गहमरी, मिथिलेश गहमरी, फारूख सासारामी, प्रो. गुरुचरण ¨सह, रमेश ¨सह और शेषनाथ ¨सह का काव्य पाठ पर लोगों ने खूब तालियां बजाई। प्रो. गुरु चरण ¨सह ने काव्य पाठ में कहा कि अगर है ये गुनाह तो हम इसे सौ बार करते हैं। कवि मिथिलेश गहमरी ने सुनाया जान दी जिसने अपने वतन के लिए उसको दो गज जमीन नहीं कफन के लिए पर कवि ने खूब वाहवाही बटोरी। कवि विनय राय बहुरंग ने सुनाया नई बहार आने दे गुल नई खिलाने दे आदि कई कविताओं को सुनाया। इस प्रकार काव्य पाठ का सिलसिला देर रात तक चलता रहा। आयोजन समिति ने कहा कि गंवई इलाके में इस तरह के आयोजन से बौद्धिक विकास होगा। कवि सम्मेलन में यूपी-बिहार से सैकड़ों लोग आए थे।


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