रुपये निकालने में लोगों के छूट रहे पसीने
दिसंबर महीने की शुरुआत हो चुकी है। सरकारी व प्राइवेट कर्मचारी का वेतन आ गया है।
नालंदा। दिसंबर महीने की शुरुआत हो चुकी है। सरकारी व प्राइवेट कर्मचारी का वेतन आ गया है जबकि कई लोगों का पेंशन भी उनके बैंक खाते में आ गया है। लेकिन इसकी निकासी कैसे हो यह लोगों के लिए सिर दर्द बन गया है। घर बाहर सभी जगह लोग रुपये की निकासी के लिए चर्चा करते देखे जाते हैं। रुपये की निकासी के लिए अधिकांश लोगों की दिनचर्या ही बदल गई है। सुबह से शाम तक लोग रुपये के लिए भागदौड़ कर रहे हैं। हालांकि अपने स्तर से बैंक अपने ग्राहकों को संतुष्ट करने के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है लेकिन रुपये की कमी के कारण लोगों के विश्वास पर पूरी तरह से खरा नहीं उतर रहा है। रिजर्व बैंक द्वारा नकदी उपलब्ध कराने को ले जो दावे किए गए थे वो जिले में पूरी तरह से खोखला साबित हो रहा है। हालात ऐसी हो गई है कि अपने ही खून पसीने की कमाई को निकालने के लिए लोगों को भारी मशक्कत करनी पड़ रही है। नकदी के अभाव में कई घरों की शादियां टूट गई है या फिर समय आगे बढ़ा दी गई है। कुल मिलाकर अभी जो हालत बना है उसमें आम व खास सभी परेशान दिख रहे हैं।
ग्राहकों के विश्वास पर खरा नहीं उतर रहा बैंक
रुपये की कमी के कारण बैंक अपने ग्राहकों के विश्वास पर खरा नहीं उतर रहा है। नोटबंदी के 25 दिन होने के बाद भी बैंकों व एटीएम में लोगों की लंबी कतारें थमने का नाम नहीं ले रही है। इसकी मुख्य वजह बैंकों में निकासी की अधिकतम राशि 24 हजार ही निर्धारित किया गया है। जिसे मंहगाई के इस दौर में जरूरत के हिसाब से उचित नहीं कहा जाएगा।
पेंशनधारियों को भी बहाने पड़ रहे पसीने
पेंशनधारियों को भी रुपये की निकासी के लिए बैंकों में लंबी कतार के बीच पसीने बहाने पड़ रहे हैं। पहली तारीख से ही जरूरतमंद लोग रुपये से ज्यादा कतार में खड़ी होने से परेशानी उठा रहे हैं। पेंशनधारियों ने कहा कि रुपये निकालने के लिए इतनी परेशानी आज तक नहीं उठानी पड़ी। सुबह से ही लंबी कतार में खड़े हैं। हम वृद्ध के लिए कतार में घंटों खड़ा रहना किसी चुनौती से कम नहीं है। बैंक में पेंशनधारियों के लिए कोई अलग से व्यवस्था नहीं होने से परेशानी बढ़ी हुई है।