हत्या के आरोपित किशोर को पर्यवेक्षण गृह में रखने का आदेश
नालंदा। जिला किशोर न्याय परिषद प्रधान दंडाधिकारी मानवेंद्र मिश्र ने किशोर से संबंधित मामले की
नालंदा। जिला किशोर न्याय परिषद प्रधान दंडाधिकारी मानवेंद्र मिश्र ने किशोर से संबंधित मामले की सुनवाई के विचारोपरांत विधि विरुद्ध किशोर आरोपी को हत्या की घटना को अंजाम देने में सहभागिता को सत्य पाते हुए दोषी करार किया दोषी किशोर भादसं की धारा 302 के तहत एक वर्ष सात माह तथा 307 के तहत एक वर्ष विशेष पर्यवेक्षण गृह में रखने की सजा का आदेश दिया। एपीओ अनिल कुमार सिन्हा ने अभियोजन पक्ष से विचारण के दौरान बहस की थी। मामले पर फैसला 8 वर्षों बाद संभव हो सका। मामले के सूचक योगेन्द्र चौहान ने चंडी थाना कांड संख्या 120- 2009 के तहत आरोप 9 जून 2009 को दर्ज किया था। जिसके अनुसार घटना को 4 बजे सुबह गांव के खंध में अंजाम दिया गया था। जबकि मृतक शरण चौहान प्रतिदिन की तरह घर से बो¨रग पर सोने गया था बगल में एक अन्य ग्रामीण पप्पू भी सोया हुआ था। इसी दौरान सुबह 4 बजे किशोर के साथ अन्य आरोपी हसुली जैसे तेज हथियार के साथ पहुंचे और शरण चौहान की प्रहारकर हत्या कर दी। बगल में सोये पप्पू को भी घातक प्रहार कर हत्या कर दिया। उसने हास्पीटल में इलाज के दौरान घटना की जानकारी दी। मामले के विचारण के दौरान कुल आठ साक्षियों का परीखण किया गया था। हालांकि 26 फरवरी 10 से 6 फरवरी 12 के करीब दो वर्ष विधि विरूद्ध किशोर आरोपी न्यायिक अभिरक्षा में रह चुका है। घटना को अंजाम देने का मुख्य कारण मृतक के साथ किशोर के मां का मृतक के साथ अवैध प्रेम संबंध होना था। जिससे गांव में परिवार व उसकी जग हंसाई तथा लोसे किशोर हताश से ग्रसित था इसी भावना में उसने अपने सौतेले भाई तथा अन्य के साथ मिलकर घटना का अंजाम दिया था। प्रधान दंडाधिकारी ने फैसला दिया कि घटना के समय किशोर की आयु 16 वर्ष की थी। ये सारी परिस्थितियों साबित करती है कि किशोर ने अनजाने में नहीं। बल्कि समान आशय और कार्य में परिणाम को जानते समझते हुए हत्या को अंजाम दिया था तथा यह पर्याप्त है कि अंजाम देने में सक्षम था।