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प्रखंडों में खुदाए जाएंगे कम से कम तीन तालाब

नालंदा। कतरीसराय में आधुनिकता के इस दौड़ में जहां लोग स्वि¨मग पुल, वाटर क्लब में जाकर तैर

By Edited By: Published: Sun, 29 May 2016 03:06 AM (IST)Updated: Sun, 29 May 2016 03:06 AM (IST)
प्रखंडों में खुदाए जाएंगे कम से कम तीन तालाब

नालंदा। कतरीसराय में आधुनिकता के इस दौड़ में जहां लोग स्वि¨मग पुल, वाटर क्लब में जाकर तैराकी का लुत्फ ले रहे हैं। वहीं प्राकृतिक संपदा को नष्ट कर उनकी निर्मलता खत्म कर रहे हैं। साथ ही अपने जीवन को भी खतरे में डाल रहे हैं। आम लोगों में इस बात की अवधारणा बन गई है कि जब तालाब-पोखर ही नहीं रहेंगे तो हम मानव के जीवन के साथ पशु-पक्षियों का जीवन भी संकट में पड़ जाएगा। लोग अब सरकारी तंत्र के साथ अपने को भी गुनहगार मान इस ताल-तलैया की रक्षा को आगे आने का मन बना लिया है।

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डीएम डा. त्यागराजन एसएम ने कहा कि जागरण का यह अभियान काफी प्रशंसनीय है। तालाब- पोखरों व नदियों को बचाने के लिए हम लोगों को मिलकर आवाज उठानी होगी। उन्होंने कहा कि पानी अनमोल रतन है इसके बिना मानव व पशु-पक्षियों का जीना दुश्वार हो जाएगा। इसलिए पुराने जमाने से जल संचय को बनी तालाब, पोखर व नहरों को संरक्षित करने के लिए जिला प्रशासन ने मन बना लिया है। सरकार के निर्देशानुसार प्रत्येक प्रखंड में अब कम से कम तीन तालाबों की खुदाई कर उसका पुनद्र्वार किया जाएगा। यही नहीं शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में जहां भी सरकारी जमीन है वहां पर तलाब व पोखर की खुदाई कर उसमें पानी का संचय किया जाएगा ताकि वाटर लेवल संतुलित रहे। डीएम ने कहा कि आने वाले दिनों में सिर्फ प्रशासन के लिए ही चुनौती नहीं बल्कि समाज के लिए भी बड़ी चुनौती है। इसलिए अभी से ही इसपर सभी लोगों को जागरूक रहने की जरूरत है।

कहते हैं लोग

नीतीश कुमार कहते हैं कि पहले किसानी का मुख्य श्रोत तालाब, पोखर व नहर हुआ करता था लेकिन आज लोग थोड़ी सी लालच में आकर इन पोखर व नदियों का अतिक्रमण कर लोग इसका स्वरूप बर्बाद कर दिए हैं। उन्होंने कहा कि दैनिक जागरण की इस मुहिम ने हम किसानों का दिल-दिमाग झकझोर दिया। लोगों को अब समझ में आने लगा कि पानी का वाटर लेवल तेजी से नीेचे जाने का आखिर क्या कारण है। नीतीश ने कहा कि मैं अपने घर के बगल में कुंआ जैसे खड्डा खंदवाकर उसमें पानी स्टोर करने का काम करुंगा।

कारी देवी कहती हैं कि पानी संचय करने व वाटर लेवल बनाए रखने के लिए हर गांव मोहल्ले के लोगों को आगे आना होगा। हर वर्ष बरसात की पानी आती है और बाढ़ की तरह बह जाती है। यदि इसी पानी को स्टोर करके रखा जाए तो फिर ¨सचाई के साथ-साथ कई तरह के लाभ मिलेगा। आज पोखर-तालाब के भरने से पशु-पक्षियों का भी जीवन संकट में पड़ गया है। पहले पोखर तालाबों में सुबह-सुबह सैकड़ों की संख्या में पक्षियां विचरण करते देखे जाते थे लेकिन आज सबकुछ समाप्ति की ओर है।

निर्वतमान प्रमुख नवीन कुमार कहते हैं पानी संचय के लिए दैनिक जागरण का यह अभियान लोकहित व जनता हित में है। इसलिए सरकारी तंत्र के साथ हम तमाम जनता को इस पर गहन मंथन करने की जरूरत है। आज लोग पुरानी परंपरा को भुलाकर नए-नए तकनीक से पानी निकाल रहे हैं पर शायद यह लोग भूल रहे हैं कि जब तक ताल-तलैया व नदियों में पानी नहीं रहेगा तो फिर इससे भी पानी निकलना बंद हो जाएगा। इसके बाद लोगों को पानी के लिए जंग करना पड़ेगा। अब भी वक्त है लोग इस ताल-तलैया के बचाव के मुहिम में जुटे। वर्ना दुष्परिणाम के लिए तैयार रहें।

रामजी पासवान कहते हैं कि जब तक लोगों में जागरूकता नहीं आएगी तब तक पानी संचय नहीं हो सकता। पानी संचय नहीं की गई तो आने वाले दिनों में इसका दुष्परिणाम आने वाले पीढि़यों को भुगतना पड़ेगा। हम स्वार्थ में आकर पोखर-तालाबों को अतिक्रमण कर उस पर मकान बना रहे हैं पर यह नहीं सोच रहे हैं कि तालाब-पोखर से हमें कितना लाभ मिलता था। उन्होंने कहा कि गांव में टीम गठित कर तलाबों की सफाई कर उसे पुर्नजीवित करने का प्रयास किया जाएगा।


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