एकाग्रता लाने को करें भ्रामरी प्राणायाम
आज के दौर में ऐसा लगता है मानो तनाव हमारी जिंदगी का एक हिस्सा ही बन चुका है।
मुजफ्फरपुर। आज के दौर में ऐसा लगता है मानो तनाव हमारी जिंदगी का एक हिस्सा ही बन चुका है। जिसे देखो वह तनाव से पीड़ित है। वैसे आमतौर पर तनाव में रहना कोई बड़ी बात नहीं है, लेकिन यदि यह ज्यादा देर तक बना रहे, तो परेशानी का कारण बन सकता है। तनाव से मुक्त होने का प्रभावी तरीका है योग। उनमें भ्रामरी प्राणायाम को करने से जल्द फायदा मिलता है। योगाचार्य सुनील अग्रवाल बताते हैं कि जिन लोगों को तनाव के चलते रात को नींद नहीं आती, या फिर थकान महसूस होती है, उन्हें नियमित भ्रामरी प्राणायाम करना चाहिए। यह स्कूली बच्चों के लिए भी बेहद फायदेमंद है। इसे करने से उनकी बुद्धि बढ़ती है। माइग्रेन और साइनोसाइटिस से पीड़ितों के लिए भी यह बहुत फायदेमंद है। भ्रामरी प्राणायाम के नियमित अभ्यास से आत्मविश्वास और एकाग्रता बढ़ती है। यह मानसिक अशाति के कारण हुए उक्त रक्तचाप को घटाने में मदद करता है।
-इस आसन को सूर्योदय और सूर्यास्त दोनों वक्त किया जा सकता है। सबसे पहले एक स्वच्छ और समतल जगह चुनकर दरी बिछाएं।
-अब ध्यान लगाने वाले आसन में बैठ जाएं।
-अपनी दोनों आंखें बंद कर चित्त को शात रखें।
-अपने मेरुदंड को बिल्कुल सीधा और दोनों हाथों को बगल में अपने कंधे के समांतर फैलाएं।
-अब अपनी केहुनियों को मोड़ते हुए हाथों को कानों के समीप ले जाएं।
-दोनों हाथों के अंगूठे से दोनों कानों को बंद कर लें।
-अब नाक से सांस लेते हुए धीरे-धीरे गले से भ्रमर की गुंजन के साथ धीरे-धीरे सांस छोड़ना है। इस बात का ध्यान रहे कि सांस छोड़ते समय कंठ से भंवरे के समान आवाज करना है। आवाज आखिर तक एक समान होनी चाहिए।
-ध्वनि तरंग को अपने मस्तिष्क में अनुभव करें व गुंजन करते वक्त जीभ को तालु से लगाएं। दातों को खुला रखें किन्तु होठ बंद रहना चाहिए।
-पांच से दस बार यह अभ्यास करें। जितनी सांस ले सकें उतनी ही लें, अनावश्यक शरीर को तकलीफ न दें।
-शुरुआत में बिना कान बंद किए भी भ्रामरी प्राणायाम को किया जा सकता है। यदि कान में दर्द या संक्रमण हो तो इस प्राणायाम को नहीं करना चाहिए।