हर तरफ चीख पुकार, खून देख रो रही थीं आंखें
सरपट भागती गाड़ियों वाली महमूदपुर गांव के निकट की सड़क पर सोमवार की शाम रफ्तार थम सी गई थी। कुछ देर पहले रफ्तार की होड़ से यहां भीषण हादसा हो गया था।
मुजफ्फरपुर। सरपट भागती गाड़ियों वाली महमूदपुर गांव के निकट की सड़क पर सोमवार की शाम रफ्तार थम सी गई थी। कुछ देर पहले रफ्तार की होड़ से यहां भीषण हादसा हो गया था। इससे बर्बादी का मंजर नजर आ रहा था। ओवर लोडेड ऑटो व सामने से आती तेज गति बस की टक्कर ने इस बर्बादी की कहानी लिखी। कई मीटर तक मुख्य सड़क पर हर ओर खून ही खून नजर आ रहा था। शरीर के अंग, मांस के लोथड़े व मस्तिष्क के अंदर के भाग बिखरे पड़े थे। परखचे उड़े ऑटो के अंदर कई महिलाएं व चालक फंसे थे। स्थानीय लोग उन्हें निकालने का प्रयास कर रहे थे। भारी मशक्कत के बाद सभी को निकाला गया। पांच घायलों को एसकेएमसीएच पहुंचाया गया। कुछ इसी तरह का दृश्य मुजफ्फरपुर-सीतामढ़ी मुख्यमार्ग (एनएच-77) पर अहियापुर थाना क्षेत्र के सीआरपीएफ कैंप से आगे तिरहुत शारीरिक प्रशिक्षण महाविद्यालय का दिखा।
काल के गाल में समा गए दो बेटे
सड़क पर महिलाओं व बच्चों के क्षत-विक्षत शव व उससे निकल रहे खून ने हर किसी को रोने पर मजबूर कर दिया। मासूम बच्चों के शव को देखकर हर किसी की आंखें रो रही थीं। दो सहोदर भाइयों शाहिल व सरताज के भोले चेहरे पर खून के छींटे पड़े थे। दोनों की लाश एक साथ थी। शुरू में उसकी पहचान नहीं हो सकी। उसके नजदीक एक पुरुष का शव पड़ा था। पहले तो यह अनुमान व्यक्त किया गया कि दोनों उसी के पुत्र हैं। बाद में यह अनुमान गलत निकला। शाहिल व सरताज अपनी मां शबाना खातून के साथ घर लौट रहे थे। दोनों की मौत हो गई, जबकि शबाना गंभीर रूप से घायल हैं। बेहोशी स्थिति में उन्हें एसकेएमसीएच में भर्ती कराया गया है। शबाना की ननद रजिया खातून उर्फ गिन्नी खातून की एक दूधमुंहे बच्चे व चार साल के एक पुत्र का शव एक अन्य महिला की लाश के निकट पड़ा था। यहां भी उसकी मां के होने का अनुमान किया जा रहा था।