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उठो ऐ मोमिनों माहे रमजान आ गया.. की सदा खामोश

'उठो ऐ मोमिनों माहे रमजान आ गया, रहमतों का मगफिरतों का महीना आ गया..'।

By JagranEdited By: Published: Tue, 30 May 2017 01:50 AM (IST)Updated: Tue, 30 May 2017 01:50 AM (IST)
उठो ऐ मोमिनों माहे रमजान आ गया.. की सदा खामोश
उठो ऐ मोमिनों माहे रमजान आ गया.. की सदा खामोश

मुजफ्फरपुर। 'उठो ऐ मोमिनों माहे रमजान आ गया, रहमतों का मगफिरतों का महीना आ गया..'। रमजान की रात में गूंजने वाले ये सदा अब खामोश हो गई है। रमजान आते ही गांव से लेकर शहर तक में आधी रात के बाद काफिला निकला करता था। काफिले की सुरीली आवाज में रमजान की अजमत बयान करते तराने सुन कर लोग नींद से जग कर सहरी की तैयारी में जुट जाते थे। घर-घर जाकर जगाने का कार्य काफिला करता था। कुछ लोगो की टोली बनती थी जो पूरे महीने इस काम को बड़ी जिम्मेदारी से पूरा करती थी। बदलते समय में आधुनिकता ने इसे निगल लिया। अब इसकी सदा नहीं सुनाई देती। 60 वर्षीय महबूब आलम कहते हैं कि रात को जब काफिला निकलता था, लोग इसका इंतजार करते थे।

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सहरी के लिए अब

मोबाइल का सहारा

मोबाइल की आदत ने जिंदगी से मिठास को दूर कर दिया है। रमजान में भी अब अधिकतर इसी पर निर्भर हो गए हैं। सहरी में उठने के लिए अधिकतर इसी का प्रयोग कर रहे हैं। अलार्म के सहारे इनकी नींद खुल रही है।

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इनसेट :

मुस्लिम इलाकों में

रमजान की रौनक

मुजफ्फरपुर : मुस्लिम इलाकों में रमजान से रौनक छा गई है। देर रात तक ये इलाके गुलजार रहने लगे हैं। इस्लामपुर, बैंक रोड, तिलक मैदान, माड़ीपुर, सादपुरा, ब्रह्मापुरा, मिठनपुरा, पक्की सराय, चंदवारा आदि मोहल्ले देर रात तक गुलजार रहने लगे हैं। इधर, सोमवार को भी रोजेदारों ने एक साथ इफ्तार किया। मस्जिद व घरों में तरावीह की नमाज अदा की जा रही है।


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