पोस्ट कालाजार की जद में 14 गांव, मिले 134 मरीज
पोस्ट कालाजार डर्मल लिस्मानियासिस (पीकेडीएल) के हाई रिस्क जोन में जिले के आठ प्रखंड के 14 गांव हैं। इनमें 134 मरीज मिले हैं।
मुजफ्फरपुर। पोस्ट कालाजार डर्मल लिस्मानियासिस (पीकेडीएल) के हाई रिस्क जोन में जिले के आठ प्रखंड के 14 गांव हैं। इनमें 134 मरीज मिले हैं। तेजी से बढ़ रही इस बीमारी से स्वास्थ्य विभाग सकते में है। मरीजों को बचाने के लिए सरकार के साथ सामाजिक संगठन (बिलगेट्स फाउंडेशन) काला जार उन्मूलन की दिशा में काम कर रहे हैं। उसके बाद भी मरीजों की संख्या ने स्वास्थ्य विभाग की चिंता बढ़ा दी है।
इस तरह फैलती है बीमारी
जिला मलेरिया पदाधिकारी डॉ. सतीश कुमार ने बताया कि कालाजार मरीज जब आधा-अधूरा इलाज कराते हैं या पूरी दवा नहीं खाते तो पोस्ट कालाजार का अटैक होता है। सो, बीमारी चिह्नित होने पर पूरा इलाज कराना जरूरी है। यह तीन तरह का होता है। शरीर में उजला दाग, (सिहुली), उजला बड़ा दाग व चेहरे पर फुंसी। ये कालाजार से दोगुनी गति से फैलते हैं। इसका इलाज थोड़ा लंबा चलता है, लेकिन मरीज ठीक हो जाते हैं।
मुजफ्फरपुर सिविल सर्जन डॉ. ललिता सिंह का कहना है कि पीकेडीएल मरीजों की पहचान कर इलाज करने के लिए विशेष अभियान चल रहा है। मरीजों की संख्या बढ़ने पर स्वास्थ्य विभाग चिंतित है। आम लोगों से अपील है कि वह कालाजार की दवा का कोर्स पूरा करें।
ज्ञात हो कि वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन द्वारा भारत, नेपाल और बांग्लादेश से 2015 तक काला जार उन्मूलन का लक्ष्य तय किया गया था। हालांकि इसे बढ़ाकर अब 2030 कर दिया गया है। देश में सर्वाधिक काला जार का मामला उत्तर बिहार से रिपोर्ट कि या जाता है।