अयोध्या मसले पर न हो कलह, बातचीत से हो सुलह
अयोध्या मसले पर आपसी सुलह व समझौता एक अ'छी व सकारात्मक पहल है।
मुजफ्फरपुर। अयोध्या मसले पर आपसी सुलह व समझौता एक अच्छी व सकारात्मक पहल है। इससे परस्पर कटुता तो खत्म होती ही है, संबंधित पक्षों में हारने-जीतने का अहसास भी नहीं होता।
ये मानना है सेवानिवृत्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश व वर्तमान में मनरेगा लोकपाल रमेंद्रनाथ राय का। वे सोमवार को दैनिक जागरण विमर्श में 'अयोध्या मसले का हल बातचीत बेहतर या अदालती फैसला' विषय पर अपना पक्ष रख रहे थे। वे मानते हैं कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा बातचीत के लिए मौका देना सर्वोत्तम पहल है, इस पर आगे बढ़ने की जरूरत है।
तर्को व तथ्यों पर विचार हो : रमेंद्रनाथ राय का कहना है कि रामजन्म भूमि लाखों-करोड़ों लोगों की आस्था से जुड़ा है। अगर, बातचीत उन्हीं के बीच हो जाए, तो इससे बेहतर और क्या हो सकता है। इसका समायोजन उन्हीं लोगों के बीच होना भी चाहिए, जिनका इससे जुड़ाव है। इसमें मंदिर और मस्जिद से जुड़े लोगों को आगे आना चाहिए। तर्को व तथ्यों पर विचार होनी चाहिए।
राम आस्था के प्रतीक : मंदिर-मस्जिद का होना या नहीं होना आम विवाद नहीं है, इसका सीधा जुड़ाव आस्था से है। यह सत्य है कि उनसे ¨हदुओं की भावनाएं जुड़ी हैं, लेकिन यह भी हो कि इस्लामिक पक्षों का हित उपेक्षित व नजरअंदाज न हो। उनकी परंपराओं व मान्यताओं का ध्यान रखा जाए। असंतोष की भावना का कहीं कोई स्कोप न हो।
धीरे-धीरे शुरू हुआ राजनीतिकरण : इस मुद्दे को राजनीतिक हित के लिए विवादित बना दिया गया। बार-बार उसपर राजनीति हुई। कुछ पक्षकारों का सरकार से इस पर विरोध है, तो इसके पीछे भी राजनीतिक लाभ-हानि ही है। अगर, नीयत साफ हो तो इसके सकारात्मक लक्ष्य तक पहुंचा जा सकता है।
न्यायिक प्रक्रिया का बदल रहा स्वरूप : वर्तमान परिवेश में न्यायिक प्रक्रिया का स्वरूप बदल रहा है। इसकी जटिलताओं को सहज व सुलभ करने की कोशिश की जा रही है। कोर्ट के माध्यम से आपसी सुलह व बातचीत का अवसर देना एक बेहतर मौका है। इस परिस्थिति में पक्षकारों को आगे आकर इसका लाभ लेना चाहिए। इसका फायदा होगा कि इससे जुड़े तमाम मुद्दों पर विस्तृत चर्चा हो सकती है।