हैप्पी ईस्टर से गूंजे गिरजाघर
मुजफ्फरपुर, प्रतिनिधि : समय - रात के बारह बजे। जैसे ही घड़ी की सूई बारह पर गयी, गिरजाघरों में पास्का मोमबत्ती जल उठी। घंटियों की आवाज सुनायी देने लगी। पास्का मोमबत्ती जलते ही पूरे परिसर की बत्तियां जला दी गयीं। पूरा गिरजाघर रोशनी से नहा गया था। शाम से बत्तियां नही जलायी गयी थीं। फिर इसाई समुदाय के लोगों ने पुनरुत्थान के गीत गाते हुए ज्योति स्वरूप यीशु मसीह का गुणगान करना शुरू कर दिया। इसके बाद सबों ने एक-दूसरे को हैप्पी ईस्टर कहकर पुनर्जीवित यीशु मसीह की शांति व नए जीवन की कामना की ताकि सब एक दिन प्रभु यीशु के साथ अनंत जीवन के सहभागी बन सकें। इसके पूर्व सभी विश्वासियों ने हाथों में मोमबत्ती लिए गिरजाघर में प्रवेश किया। लेनिन चौक स्थित सेंट फ्रांसिस असिसी चर्च के फादर कैजेटन ने बताया कि ईस्टर पर्व पतझड़ के बाद बसंत ऋतु जैसा है, सब सारी सृष्टि एक नए जीवन से भरी रहती है। इस पर्व का सबसे प्रमुख संदेश है कि सबके मन और आत्मा को ईश्वरीय शांति मिले जो पाप व अहंकार द्वारा नष्ट हो जाती है। यह पर्व हमें शिक्षा देता है कि हम ईश्वर के हैं और उनके बिना हम कुछ भी नहीं है। ईश्वर से दूर रहकर हम उस डाली के सदृश हैं जो पेड़ से कटकर न फल उत्पन्न करता है और न ही जीवित रह सकता है। मुख्य अनुष्ठानकर्ता बिशप जेबी ठाकुर ने कहा कि मनुष्य के पाप के कारण ईश्वर व उनकी सारी सृष्टि के बीच उत्पन्न खाई को पाटने के लिए यीशु मसीह ने एक दीन-हीन आज्ञाकारी मनुष्य बनकर मानव पाप का दंड अपने ऊपर ले लिया और क्रूस पर अपना जीवन अर्पित कर दिया। उनकी इसी विनम्रता, आज्ञापालन व परोपकार के कारण परमपिता ईश्वर ने उन्हें पुनर्जीवित कर दिया। आज के दिन इस घटना का स्मरण किया जाता है। इस मौके पर बड़ी संख्या में विश्वासीगण उपस्थित थे।
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