आवास की दरकार, पलायन को लाचार
मुजफ्फरपुर। प्रखंड मुख्यालयों में अधिकारियों-कर्मचारियों के आवास की जरूरत है। वर्षो पूर्व आवास बनवाए
मुजफ्फरपुर। प्रखंड मुख्यालयों में अधिकारियों-कर्मचारियों के आवास की जरूरत है। वर्षो पूर्व आवास बनवाए भी गए जो उचित देखरेख के अभाव में जीर्णशीर्ण हो गए। नतीजतन अधिकारी या कर्मचारी यहां रहने को तैयार नहीं। उन्हें दूसरे स्थानों पर रहना पड़ता है जिससे इनकी कार्यक्षमता प्रभावित हो रही है। पारू प्रखंड मुख्यालय में निर्मित दो दर्जन आवासों में मात्र बीडीओ आवास ही रहने योग्य है जहां बीडीओ रहते भी हैं। इससे इतर औराई प्रखंड मुख्यालय में निर्मित आवासों की हालत इतनी जर्जर हो गई कि उसकी ईट से लेकर चौखट-किवाड़ तक उखाड़ कर कौन ले गया, किसी को पता नहीं। जरूरत है प्रखंड मुख्यालयों में अधिकारियों व कर्मचारियों के लिए आवास निर्माण की ताकि ये लोग मनोयोग से अपनी कार्यक्षमता का प्रदर्शन कर सकें।
डेढ़ दर्जन आवासीय भवन गायब
औराई प्रखंड मुख्यालय स्थित डेढ़ दर्जन आवासीय भवनों को जमीन निगल गई या आसमान समा गया, पता ही नहीं चल रहा है। पांच -सात वर्षो में एक एक कर सारे आवासीय भवन की खिड़की, किवाड़, चौखट और ईंट तक गायब होती गई, लेकिन किसी की नजर इसपर नहीं पड़ी। हैरत की बात है कि यहां बीडीओ, सीओ व अन्य अधिकारी रहते हैं। सारे भवन का एक एक सामान गायब होते चला गया, लेकिन आज तक किसी अधिकारी ने चोरी की प्राथमिकी या सनहा तक दर्ज कराना तक मुनासिब नहीं समझा। यहां तक कि सत्ता व विपक्ष के राजनेताओं ने भी इस मुद्दे को कभी नहीं उठाया। बताया जाता है कि प्रखंड परिसर से गायब इन सामानों का उपयोग अधिकांश टेंडर वर्क में किया गया। वहीं, कुछ सामान निजी कार्यो में भी लगाए गए। इस संबंध में रालोसपा के प्रखंड अध्यक्ष अमरेंद्र कुमार सिंह ने कहा कि प्रखंड परिसर से गायब आवासीय भवन की उच्चस्तरीय जांच कराई जानी चाहिए। इधर, बीडीओ मो. मोईनुद्दीन ने पूछे जाने पर इस संबंध में अनभिज्ञता जताई। आवेदन आने पर जांच की बात कहकर पल्ला झाड़ लिया।
पारू प्रखंड कार्यालय परिसर स्थित अधिकारियों एवं कर्मचारियों के आवास का निर्माण कराया गया जिसमें बीडीओ, सीओ समेत अन्य कर्मी रह रहे थे। लेकिन, उचित रखरखाव के अभाव में अब मात्र बीडीओ आवास ही सुरक्षित रह गया है। शेष एक कमरा भी सुरक्षित नहीं बचा। इन कमरों में घास उगी है जहां विषैले सांपों का बसेरा हो चुका है। इधर, सरकार ने किसान भवन का निर्माण कराया जिसमें मनरेगा कार्यालय चल रहा था। अब उस भवन में एसएसबी जवानों का कैंप चल रहा है। बताते हैं कि भवन के अभाव में बाल विकास परियोजना कार्यालय एक छोटे से कमरे में चल रहा है जहां आंगनबाड़ी कर्मियों की बैठक तक होती। इस वर्ष आई भूकंप से प्रखंड व अंचल कार्यालय की छत में दरार आ गया। इस कारण बरामदे पर खड़ा होना भी खतरे से खाली नहीं रहा। बावजूद इसके जान जोखिम में डाल कर अधिकारी व कर्मचारी काम करते हैं। बीडीओ रत्नेश कुमार ने बताया कि आवास की जर्जरता के संबंध में वरीय अधिकारियों को लिखेंगे। अगर आवास की मरम्मत करा दी जाए तो निश्चित रूप से अधिकारी व कर्मचारी आवास में रहने लगेंगे जिससे कार्यो के निष्पादन में सुविधा होगी।