कूड़े से बनेगी बिजली व खाद
मुजफ्फरपुर: किसी भी शहर के लिए लोगों के घरों, दुकानों एवं कल-कारखानों से निकले वाले हजारों टन कूड़े औ
मुजफ्फरपुर: किसी भी शहर के लिए लोगों के घरों, दुकानों एवं कल-कारखानों से निकले वाले हजारों टन कूड़े और कचरों का निपटारा सबसे बड़ी चुनौती होती है। आज इनका पूरी तरह से निपटारा नहीं होने से लैंडफिल साइट्स पर उसे डंप किया जाता है। लेकिन स्मार्ट सिटी में यह समस्या नहीं रहेगी। वहां वेस्ट मैनेजमेंट पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। वेस्ट को पूरी तरह से ऊर्जा और ईधन के रूप में तब्दील किया जाएगा। इसके लिए बड़े-बड़े प्लांट लगेंगे। इससे न सिर्फ निगम को आय होगी, बल्कि शहर स्वच्छ, सुंदर एवं स्वस्थ्य बनेगा।
इतना ही नहीं वेस्ट को कम्पोस्ट में भी तब्दील किया जाएगा ताकि उसको बेचकर निगम अपने खजाने को तो भर ही सके, साथ ही किसानों को सस्ते दर पर कम्पोस्ट खाद भी मिल जाए। इसका उपयोग वे खेत की उर्वरा शक्ति बढ़ाने में करेंगे।
इतना ही नहीं घरों से निकलने वाले गंदे के पानी के ट्रीटमेंट की व्यवस्था होगी। कंस्ट्रक्शन और डेमोलिशन से निकलने वाले वेस्ट को भी री-साइकल करने की सुविधा होगी। इस प्रकार स्मार्ट सिटी में कूड़ा-करकट को ठिकाना लगाने के लिए स्मार्ट व्यवस्था होगी। आज जो कूड़ा निगम के साथ-साथ शहरवासियों के लिए नासूर बना है वहीं स्मार्ट सिटी में आय का श्रोत होगा।
ढाई सौ टन कूड़ा चुनौती
वर्तमान में शहर से निकलने वाले ढाई सौ टन कूड़े को निपटाने में निगम प्रशासन अक्षम साबित हो रहा है। इससे शहर को क्लीन एवं ग्रीन बनाने की चुनौती बरकरार है। तमाम कवायद के बाद भी निगम कूड़ा डंपिंग के लिए स्थल की तलाश नहीं कर पाया है। इसके अभाव में शहर से निकलने वाले कूड़े सार्वजनिक स्थलों, पोखरों एवं खेल मैदानों में डाले जाते हैं। वर्तमान में शहर से निकलने वाला सैकड़ों टन कूड़ा बूढ़ी गंडक नदी के किनारे श्मशान घाट के समीप जमा किया जा रहा है। वहां धीरे-धीरे कूड़े का पहाड़ खड़ा हो रहा है। अब तक शहर से निकलने वाला कूड़ा खेल मैदानों, तालाबों, पार्को एवं सार्वजनिक स्थानों का निगल चुका है। नित्य नए स्थानों की खोज हो रही है।
रीडर कनेक्ट
शिक्षित शहरियों से ही बनेगी बात
मुजफ्फरपुर : स्मार्ट सिटी की परिकल्पना तभी साकार हो पाएगी, जब शहरवासी शिक्षित एवं तकनीकी रूप से दक्ष होंगे। इसके लिए शिक्षा पर विशेष ध्यान देना होगा। शिक्षा को वर्तमान जरूरतों के हिसाब से व्यवस्थित करना होगा। उक्त विचार सोमवार को शहरवासियों ने मोबाइल फोन के माध्यम से दैनिक जागरण को दी।
धरफरी निवासी कृष्णकांत प्रसाद ने कहा कि वर्तमान शिक्षा व्यवस्था स्मार्ट सिटी की राह में सबसे बड़ी बाधा होगी। इसलिए सबसे पहले इस विषय पर शासन-प्रशासन को ध्यान देना होगा। स्कूली स्तर पर सरकारी एवं गैरसरकारी स्तर पर तकनीकी शिक्षा देनी होगी।
काम भी हो स्मार्ट
बुधनगरा निवासी विष्णु कुमार कहते हैं कि शहर में जाम की सबसे बड़ी समस्या है। वहीं सड़कों की हालत खराब है। शहर स्मार्ट सिटी बने, इसके लिए स्मार्ट काम की जरूरत है। ऐसी सड़क बने जो मजबूत के साथ चौड़ी भी हो।
पंखाटोली निवासी संतोष महाराज ने कहा कि हम स्मार्ट सिटी का सपना देख रहे हैं, लेकिन जब तक हम अपने अंदर बदलाव नहीं लाएंगे, यह सपना साकार नहीं हो पाएगा। हमें अपनी जिम्मेवारियों को समझना होगा। सड़क पर खुले में कूड़ा फेंकने से बचना होगा। सड़क पर चलते समय नियमों को पालन करना होगा। सरकारी संपत्तियों को क्षति पहुंचाने से बचना होगा।
कोट-
कूड़ा निष्पादन को नगर निगम ने कभी गंभीरता से नहीं लिया। निगम के पास पैसा भी है और जमीन भी। पर कभी भी कारगर योजना नहीं बनाई गई। ध्यान दिया गया होता तो अब तक कूड़ा निगम के आय को श्रोत बन चुकी होती।
-पंकज कुमार, युवा व्यवसायी
दो दशक पूर्व निगम शहर से निकलने वाले कूड़े से कम्पोस्ट खाद तैयार कर बेचता था, लेकिन यह व्यवस्था निगम प्रशासन की अदूरदर्शिता की भेंट चढ़ गई। स्मार्ट सिटी बनने का इंतजार करने की जगह निगम अपनी पुरानी व्यवस्था को फिर से बहाल करे।
-धीरज कुमार, अधिवक्ता
प्रधानमंत्री ने आम लोगों को साफ-सफाई के प्रति जागरूक करने के लिए स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत की, लेकिन वह सफल नहीं हो सका। कारण, लोग सबकुछ जानते हुए भी जागरूक होने को तैयार नहीं। सफाई को वे अपनी आदत में शामिल करने को तैयार नहीं। स्मार्ट सिटी से पहले लोगों को स्मार्ट बनाना होगा।
-आशीष चौधरी, व्यवसायी
सरकार चाहें जितनी बेहतर योजना बना ले, वह तब तक सफल नहीं हो सकती जब तक हमारा जुड़ाव उससे नहीं होगा। हम अच्छी व्यवस्था चाहते हैं। सुख-सुविधा की कल्पना तो करते हैं, लेकिन अपनी जवाबदेही नहीं निभाते। स्मार्ट सिटी की परिकल्पना तभी सफल होगी, जब हम उससे मन से जुड़ेंगे।
-त्रिभुवन राय, पार्षद