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भारतीय मनीषा के मूर्धन्य प्रवक्ता थे आचार्यश्री

मुजफ्फरपुर : भारतीय मनीषा के मूर्धन्य प्रवक्ता थे आचार्य जानकीवल्लभ शास्त्री। भाजपा कला - संस्कृति म

By Edited By: Published: Mon, 31 Aug 2015 01:18 AM (IST)Updated: Mon, 31 Aug 2015 01:18 AM (IST)
भारतीय मनीषा के मूर्धन्य प्रवक्ता थे आचार्यश्री

मुजफ्फरपुर : भारतीय मनीषा के मूर्धन्य प्रवक्ता थे आचार्य जानकीवल्लभ शास्त्री। भाजपा कला - संस्कृति मंच के तत्वावधान में आयोजित महाकवि आचार्य जानकीवल्लभ शास्त्री जन्म शताब्दी समारोह में यह बात भाजपा नेता डॉ. तारण राय ने कहीं।

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मुख्य अतिथि आचार्य चंद्रकिशोर पाराशर ने कहा कि आचार्यश्री ¨हदी जगत के सांस्कृतिक दूत थे। उन्होंने शहर की सांस्कृतिक संस्थाओं से महाकवि का जन्म शताब्दी समारोह मनाने की अपील की। स्वागत भाषण ब्रजनंदन वर्मा ने किया। कार्यक्रम को डॉ. शारदाचरण, अमरनाथ मेहरोत्रा, डॉ. विजय शंकर मिश्रा व डॉ. मंजू मिश्रा ने संबोधित किया। संचालन सुमन कुमार मिश्र ने किया और धन्यवाद महेश्वर चौधरी ने दिया।

इन कवियों को किया गया सम्मानित

समारोह में विभिन्न जिलों से आए साहित्यकारों डॉ. रमण शांडिल्य, शंभू अतोड़ी, आचार्य परमानंद झा प्रभाकर, डॉ. राममणि राय मणि, ज्ञानशंकर व गोपाल भारती और मुजफ्फरपुर से डॉ. राजनारायण राय, डॉ. चित्तरंजन कनक, सच्चिदानंद चौधरी, मिथिलेश मिश्र दर्द, डॉ. आभा अनुरंजिता, गणेशसारंग तथा रामतपन सिंह को सम्मानित किया गया।

इन पुस्तकों का हुआ लोकार्पण

समारोह में गणेश प्रसाद सारंग की बज्जिका काव्य संग्रह बज्जिका अंगना, आभा अनुरंजिका की काव्य कृति प्रणयदूत, कालिदास की काव्य कृति मेघदूत का काव्यानुवाद तथा डॉ. सूरज मृदुल की कृति अब मैं चल रहा हूं का लोकार्पण किया गया।


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