'बच्चों में अध्ययन की आदत डालना जरूरी'
जासं, मुजफ्फरपुर : बच्चों में अध्ययन करने की आदत डालना जरूरी है। तभी वे जीवन के किसी भी क्षेत्र में
जासं, मुजफ्फरपुर : बच्चों में अध्ययन करने की आदत डालना जरूरी है। तभी वे जीवन के किसी भी क्षेत्र में सफल होंगे। हालांकि, पढ़ने की ललक बच्चे से लेकर बड़ों तक में होनी चाहिए। आज इस आदत का अभाव दिख रहा है। ये बातें बिहार विश्वविद्यालय के कुलपति पं. पलांडे ने कही। वे शुक्रवार को सहजानंद जन सेवा केंद्र के तत्वावधान में आयोजित दस दिवसीय पुस्तक मेले का उद्घाटन कर रहे थे। कुलपति ने पढ़ने की प्रवृत्ति के मामले में महाराष्ट्र की सराहना की, जहां जगह-जगह पुस्तक क्लब स्थापित हैं। ऐसे ही क्लब की यहां भी जरूरत है। उन्होंने पुस्तक मेले के आयोजन की सराहना की और लोगों से मेले में भागीदारी कर पुस्तकें खरीदने की अपील की। मुख्य अतिथि सांसद अजय निषाद ने कहा कि किताबों का महत्व कभी कम नहीं होगा। आज भी हम यात्रा में किताबें ही पढ़ते हैं। समारोह में कुलपति, सांसद सहित अन्य अतिथियों में एलएस कालेज के प्राचार्य एएन यादव, एमडीडीएम की प्राचार्य डॉ. ममता रानी, इतिहासकार डॉ. भोजनंदन प्रसाद सिंह, सर्जन डॉ. एचएन भारद्वाज, डॉ. वंदना विजय लक्ष्मी, विकास पदाधिकारी डॉ. कल्याण कुमार झा, समाजसेवी एचएल गुप्ता आदि मौजूद रहे। सभी ने मिलकर दीप प्रज्जवलित किया। इसके बाद समारोह को संबोधित किया। संचालन आयोजन समिति के अध्यक्ष डॉ. संजय पंकज ने किया। स्वागत संयोजक सौरभ रंजन ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन कुंदन कुमार ने किया। सभी वक्ताओं ने एक तरफ किताबों के महत्व पर प्रकाश डाला। वहीं, दूसरी तरफ बच्चों में नेट के प्रति बढ़ती आसक्ति को चिंताजनक बताया। समारोह की शुरुआत डॉ. रंजना सरकार की संस्था नुपूर कला केंद्र के दो किशोर कलाकारों ने सरस्वती वंदना पर भाव नृत्य प्रस्तुत कर किया।
बूढ़ी गंडक के तट पर लगा ज्ञान का कुंभ
क्रासर : भौतिक व आध्यात्मिक उन्नति को करें स्नान
- जितना गहरे जाइए, उतना ही अमूल्य रत्न मिलेगा
जासं, मुजफ्फरपुर : बूढ़ी गंडक के तट पर बसी उत्तर बिहार की सांस्कृतिक राजधानी में वर्षो बाद ज्ञान का कुंभ लगा है। इस कुंभ में स्नान करने वालों को भौतिक एवं आध्यात्मिक उपलब्धि (पुण्य) प्राप्त होगी। इसे धार्मिक मान्यताओं के आधार पर नहीं तर्क की कसौटी के आधार पर कहा जा रहा है। ज्ञान के इस कुंभ में स्नान के लिए शहर ही नहीं उत्तर बिहार के अनेक जिलों से लोग आने लगे हैं। यहां चारों वेद, पुराण समेत अनेक धार्मिक व सांस्कृतिक दर्शन से जुड़ी पुस्तकें हैं। स्वामी विरजानंद सरस्वती की लिखी गीता तत्वबोध, आत्मानुसंधान व अष्टावक्र गीता आदि ग्रंथ हैं, जिनके पढ़ने व जीवन में उतारने से मोक्ष की प्राप्ति होगी। वहीं, युवाओं के लिए इंजीनिय¨रग व प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए उच्च स्तरीय किताबें हैं, जिन्हें पढ़कर वे आइआइटी समेत अन्य इंजीनिय¨रग व व्यावसायिक प्रतियोगिताओं में सफल हो सकते हैं। अपनी बौद्धिक प्रतिभा का विकास कर करियर की दृष्टि से सफल सकते हैं। पं. पलांडे ने ठीक ही कहा है कि जिज्ञासा के बिना मनुष्य बेजान है। ये पुस्तकें उन्हें जिज्ञासु ही नहीं बनातीं बल्कि उनके प्रश्नों के उत्तर भी देती हैं। क्योंकि, ये किताबें आपसे बातें भी करती हैं। जीवन में चिंतन मनोवृत्ति होने के लिए गोदान, मैला आंचल, मुर्दहिया, लंकेश्वर, झूठा सच जैसे उपन्यास हैं। ज्ञान के इस कुंभ में जितना गहरे उतरेंगे, उतना ही अनमोल रत्न प्राप्त होगा।