सत्संग से आनंद व कल्याण
जागरण संवाददाता, मुजफ्फरपुर : चित्रकूट से आए संत श्रीरामावतार दास जी त्यागी ने कहा कि सत्संगति ही आन
जागरण संवाददाता, मुजफ्फरपुर : चित्रकूट से आए संत श्रीरामावतार दास जी त्यागी ने कहा कि सत्संगति ही आनंद और कल्याण की जड़ है। सत्संगति पाकर दुर्जन व्यक्ति भी वैसे ही सुधर जाते हैं, जैसे पारस के स्पर्श से लोहा सोना बन जाता है। वे सूतापट्टी स्थित श्री सालासर हनुमान मंदिर में शुरू हुए श्रीरामचरित मानस नवाह पारायण पाठ के प्रथम दिन शनिवार को कथावाचन कर रहे थे। कहा कि प्रभु श्रीराम की कृपा के बिना सत्संग सहज ही नहीं मिलता। संतों का चरित्र कपास के समान शुभ है। उनमें विषयासक्ति नहीं होती और हृदय अज्ञान व पापरूपी अंधकार से रहित होता है। वे स्वयं दु:ख सहकर भी दूसरों के दोषों को ढकते हैं। जो मनुष्य इस संत समाज रूपी प्रयाग में प्रेमपूर्वक गोते लगाते हैं, वे इस शरीर के रहते ही धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष, इन चारों पुरुषार्थो को पा लेते हैं। पहले दिन भगवान के अवतरण के उद्देश्य सहित उनके जन्म व विविध लीलाओं की चर्चा हुई।
ये रहे उपस्थित
- मुख्य यजमान अंबिका ढंढारिया व आशा ढंढारिया, संयोजक दीपक पोद्दार, अध्यक्ष फतेहचंद चौधरी, पुरुषोत्तम लाल पोद्दार, नवल किशोर सुरेका, मनोज सर्राफ, संजय जगनानी, दिनेश केडिया, रवि मोटानी, अरुण पोद्दार, माधुरी गुप्ता, जगन्नाथ प्रसाद आदि।