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यह है देश की आर्म्स कैपिटल, आतंकियों से लेकर 'डी' कंपनी तक जाते यहां के हथियार

मुंगेर अवैध हथियारों के निर्माण और तस्करी का कैपिटल बन चुका हैं। यहां के हथियार आंतकियों से लेकर दाउद गिरोह तक पहुंचते रहे हैं।

By Kajal KumariEdited By: Published: Wed, 01 Jun 2016 09:40 AM (IST)Updated: Thu, 02 Jun 2016 10:30 AM (IST)

मुंगेर [प्रशांत]। देश-दुनिया में योगनगरी के नाम से मशहूर मुंगेर की एक और पहचान है। अब अवैध हथियारों के निर्माण और तस्करी का कैपिटल बन चुका हैं। यहां के हथियार आंतकियों से लेकर दाउद गिरोह तक पहुंचते रहे हैं। इस धंधे को नक्सलियों का संरक्षण मिलता है।

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यहां देसी से लेकर नाइन एमएम पिस्टल तक आसानी से उपलब्ध हैं। ऑर्डर पर कारबाइन, इंसास, स्टेनगन, सेमी ऑटोमेटिक रायफल आदि भी तैयार किए जाते हैं। अवैध हथियार निर्माण से जुड़े कारीगर इतने सिद्धहस्त हैं कि किसी भी प्रकार का हथियार देख कर उसका डुप्लीकेट तैयार कर देने का दावा करते हैं।

बात सिर्फ हथियारों के निर्माण और तस्करी तक सीमित नहीं है। मुंगेर में विदेशी हथियार भी उपलब्ध हैं। इसकी पुष्टि ऑस्ट्रिया की रायल थाई पुलिस के एक अधिकारी की चोरी गई ग्लाक पिस्टल और फ्रेंच पिस्टल की बरामदगी करती है।

देश भर में है डिमांड

कम कीमत होने के कारण मुंगेरिया पिस्टल की डिमांड देश भर में है। दिल्ली, यूपी, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, पंजाब, महाराष्ट्र से लेकर जम्मू कश्मीर तक में यहां निर्मित हथियारों की खेप बरामद की जा चुकी है। इन राज्यों से हथियारों की खरीदारी करने आए लोग भी मुंगेर में पुलिस के हत्थे चढ़ चुके हैं।

नक्सलियों व आतंकियों तक पहुंच

नक्सलियों से लेकर आतंकी संगठनों तक मुंगेर के अवैध हथियार पहुंचते हैं। एनआइए ने मुंगेर के अवैध हथियार तस्करों के हिजबुल मुजाहिदीन कनेक्शन का खुलासा किया था। यहां ऋषिकुंड, भीमबांध और धरहरा के जंगली इलाकों में कई मिनी गन फैक्ट्रियों का उद्भेदन हो चुका है। पुलिस जांच में यह बात सामने आई है कि नक्सली संगठन अपने संरक्षण में अवैध हथियारों का निर्माण करवाते हैं। बदले में वे हथियार तस्करों से पिस्टल लेते है और अपने खराब हथियारों को ठीक भी कराते हैं।

वर्ष 2007 में मुंगेर में एक युवक रंजीत कुमार पुलिस के हत्थे चढ़ा था। उसके खाते में दस दिन में मुंबई से 20 लाख रुपये डाले गए थे। मुंबई में पुलिस के हत्थे चढ़े बंसलाल की निशानदेही पर मुंबई पुलिस ने मुंगेर पहुंच कर रंजीत को गिरफ्तार किया था। उस समय बंसलाल ने स्वीकारोक्ति बयान में कहा था कि मुंगेर से मंगाए गए पिस्टल को वह डी कंपनी (दाउद गिरोह) के हाथों बेचता था।

हथियार तस्करों ने बदला ठिकाना

पुलिस और एसटीएफ की लगातार दबिश के बाद मुंगेर पुलिस ने अपनी रणनीति बदल ली। नतीजतन हथियार तस्करों ने भी अपना ठिकाना बदल लिया। नक्सलियों ने पश्चिम बंगाल और पश्चिमी यूपी को अपना नया ठिकाना बना लिया। मुंगेर से गए कारीगर हावड़ा के ग्रामीण इलाकों में बड़े पैमाने पर हथियार का निर्माण कर रहे हैं। फिर, इन हथियारों को मुंगेर ला कर बेच दिया जाता है।

बीते वर्ष एसटीएफ और मुंगेर पुलिस ने हावड़ा में छापेमारी कर 15 सौ पिस्टल की खेप बरामद की थी। गत माह यूपी में मिनी गन फैक्ट्री का उद्भेदन भी किया गया था। दोनों जगह से मुंगेर के कारीगर पकड़े गए थे।

कहा- मुंगेर एसपी, ने-

'अवैध हथियार निर्माण और तस्करी के नेटवर्क को ध्वस्त करने के प्रयास में पुलिस जुटी हुई है। गत तीन माह में अवैध हथियारों की एक दर्जन से अधिक खेप पकड़ी गई है।'

- आशीष भारती (एसपी, मुंगेर)


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