सियासत तभी होगी जब सरहद होगा महफूज
मुंगेर । साहित्य प्रहरी की ओर से रविवार की शाम मासिक रचना गोष्ठी का आयोजन विजेता मुदगलपुरी की अध्यक्
मुंगेर । साहित्य प्रहरी की ओर से रविवार की शाम मासिक रचना गोष्ठी का आयोजन विजेता मुदगलपुरी की अध्यक्षता में किया गया। जबकि संचालन गीतकार शिवनंदन सलिल कर रहे थे । वहीं अतिथि के रूप में प्रकाश नारायण मौजूद थे। गोष्ठी की शुरूआत करते हुए अशोक शर्मा ने सीमा पर अपनी जान गंवाने वाले जवानों के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए पसरे गम ¨हदुस्तान में प्रस्तुत किया। इसके बाद विमल कुमार मिश्रा ने दीपावली की शाम और मुफलिसी का पाठ किया। प्रमोद कुमार निराला ने मैंने मौत को अब जब लगाया गले, तुम याद में आके टोके क्यों, ज्योति सिन्हा ने तलाक के विषय पर गुजरा वक्त परेशान करता है मुझे, रघुनाथ भगत ने सियासत तभी होगा जब सरहद महफूज होगा प्रस्तुत किया। किरण शर्मा ने अभी ¨जदगी का तमाशा खुद बनती हूं, खुद सजाती हूं, खुद संवरती हूं। गीतकार शिवनंदन सलिल ने समझकर खिलौना सितम न कीजिए, हाल में इस तरह दिल नहीं लीजिए प्रस्तुत किया। मौके पर विजेता मुदगलपुरी, जनार्दन झा जगप्रिय, यदुनंदन झा, प्रो जयप्रकाश नारायण आदि उपस्थित थे।