रेफर अस्पताल बनकर रह गया है संग्रामपुर पीएचसी
स्ाग्रामपुर (मुंगेर) संवाद सूत्र : सरकार विगत 7-8 वषरें से स्वास्थ्य सेवा में बेहतर सुधार को लेकर बड़
स्ाग्रामपुर (मुंगेर) संवाद सूत्र : सरकार विगत 7-8 वषरें से स्वास्थ्य सेवा में बेहतर सुधार को लेकर बड़े-बड़े दावे कर रही है लेकिन, नक्सल प्रभावित संग्रामपुर प्रखंड में बदहाल स्वस्थ्य सेवा सरकारी दावों की पोल खोलती नजर आती है। प्रखंड के लोगों को बेहतर स्वस्थ्य सेवा मुहैया कराने की जिम्मेवारी संभालने वाला पीएचसी खुद बीमार है। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में चिकित्सकों एवं स्वास्थ्य कर्मियों के सृजित पद स्वास्थ्य विभाग द्वारा अब तक नहीं भरे जा सके हैं। विदित हो कि संग्रामपुर पीएचसी के अंतर्गत 3 अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र एवं 32 स्वास्थ्य उपकेंद्र है। स्वास्थ्य सुविधाओं के नाम पर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में एकमात्र एंबुलेंस है। एक्स-रे एवं जाच की सुविधाओं से मरीज वंचित रह जाते हैं। जानकारी के अनुसार एक्स-रे मशीन एवं जाच घर का संचालन गैर सरकारी संस्था द्वारा किया जा रहा था। एक्स-रे मशीन लगभग डेढ़ वषरें से बंद पड़ा है। जबकि, जाच घर में भी बीते छह माह से ताला लटका हुआ है। ऐसी स्थिति में मरीजों को आर्थिक अधिभार उठाना मजबुरी है साथ ही स्थानीय लोगों के बीमार पड़ने पर इसका लाभ नहीं मिलता है। लोगों को छोटी-छोटी बीमारियों के भी निजी चिकित्सकों के यहां चाना पड़ता है जहां लोगों को ज्यादा खर्च कर इलाज कराना पड़ता है।
चिकित्सको की है कमी : पीएचसी में 6 चिकित्सक पदस्थापित हैं। जिसमें दो स्थायी, एक आयुष एवं 3 निविदा पर पदस्थापित हैं। एक आयुष चिकित्सक अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र रामपुर एवं एक अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पतघाघर में प्रतिनियुक्त हैं। वहीं अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र दुर्गापुर मात्र एक एएनएम के भरोसे चल रहा है।
महिला चिकित्सक का अभाव :पीएचसी में महिला चिकित्सक के नहीं रहने से प्रसव कराने के लिए आयी महिलाओं एवं अन्य महिला मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
बाह्य कक्ष एवं अंत: कक्ष की स्थिति : पीएचसी में बाह्य कक्ष में प्रतिदिन सैकड़ों मरीजों की भीड़ देखी जा रही है। वहीं अंत: कक्ष में प्रसवकालीन मरीजों के अलावा कभी भी अन्य मरीजों को भर्ती नहीं किया जाता है। अगर दुर्भाग्यवश कोई गंभीर मरीज ईलाज कराने प्रा0 स्वा0 केन्द्र आ जाते है। तो उन्हें उल्टे पाव लौटना पड़ता है। क्योंकि, डाक्टर साहब बगैर ईलाज किए रेफर कर देते हैं। इसलिए स्थानीय लोग पीएचसी को रेफर अस्पताल कह कर बुलाते हैं।
बंद पड़ा है शौचालय : पीएचसी परिसर में लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण द्वारा लाखों रुपये की लागत से शौचालय का निर्माण कराया गया है। जो शोभा की वस्तु बनकर रह गया है। शौचालय निर्माण के 2 वर्ष बीत जाने के बाद भी शौचालय का ताला नहीं खुला है। जिससे मरीजों को पेरशानी का सामना करना पड़ता है।