बालू की बोरियों के सहारे टिका है सारोबाग पुल
धरहरा (मुंगेर) संवाद सूत्र : प्रखंड मुख्यालय को जोड़ने वाली धरहरा-जमालपुर मुख्य सड़क के बीच अवस्थित सारोबाग पुल दुर्घटनाओं को आमंत्रण देता प्रतीत हो रहा है। समय रहते कोई कार्रवाई नहीं की गई, तो बालू की बोरियों पर टिका पुल कभी भी ध्वस्त हो सकता है। पुल ध्वस्त होने के साथ ही धरहरा का जिला मुख्यालय से सड़क संपर्क भंग हो जाएगा। वहीं, जल निकासी नहीं होने पर सारोबाग के समीप रेलवे का परिचालन भी बाधित हो जाएगा।
बताते चलें कि छह वर्ष पूर्व पुल का सुरक्षा दीवार ध्वस्त होने के बाद आरईओ ने बालू से भरी बोरियां डाल कर पुल को बचाने का प्रयास किया था। उस समय से सारोबाग पुल बालू की बोरियों पर ही टिका हुआ है। धीरे-धीरे बालू की बोरिया क्षतिग्रस्त होने के कारण पुल भी धंसने लगा है। पुल से होकर जब भी बड़े वाहन गुजरते हैं, पुल में कंपन होने लगता है। इससे वाहन पर सवार यात्री अनहोनी की आशंका से सहम जाते हैं। नक्सल प्रभावित क्षेत्र होने के कारण इस होकर प्राय: अधिकारियों का आना जाना लगा रहता है। इसके बावजूद पुल पर हाकिमों की नजरें इनायत नहीं हो रही है। ग्रामीण जीतेंद्र, दशरथ, अरुण कुमार, राजीव आदि ने कहा कि 45 वर्ष पूर्व बना सरोबाग पुल क्षतिग्रस्त हो जाता है, तो बरसात के दिनों में पहाड़ से निकलने वाला पानी इस क्षेत्र में बड़ी तबाही मचा सकती है। जिसके कारण रेलवे ट्रैक भी डूब सकता है। अगर, ऐसा हुआ तो भागलपुर सहित पूरे पर्व बिहार का राजधानी से रेल संपर्क भंग हो जाएगा। स्थानीय ग्रामीणों ने डीएम अमरेंद्र प्रसाद सिंह से अविलंब सारोबाग पुल का मरम्मत कराने की मांग की है।