भाड़े के भवन में चल रहा पशु अस्पताल
मधुबनी। मधवापुर प्रखंड मुख्यालय स्थित पशु अस्पताल प्रशासनिक शिथिलता व विभागीय उपेक्षा के कारण पिछले
मधुबनी। मधवापुर प्रखंड मुख्यालय स्थित पशु अस्पताल प्रशासनिक शिथिलता व विभागीय उपेक्षा के कारण पिछले 40 वर्षों से भाड़े के मकान में चल रहा है। जो अब जर्जर हो ध्वस्त होने की कगार पर है। सरकार की ओर से चलाए जा रहे पशु कल्याण की तमाम योजनाएं यहां दम तोड़ती दिख रही है। आम पशु पालकों को योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है। बीमार पशुओं का इलाज एवं पशु गुणवत्ता सुधार आदि कार्यों के लिए लोग झोला छाप पशु चिकित्सकों अथवा भगवान भरोसे रहने को बाध्य है। इस जर्जर भवन के छत एवं दीवाल का प्लास्टर आए दिन गिरते रहने के कारण यहां कार्यरत कर्मी भवन गिरने की आशंका से ¨चतित दिखते हैं।
अस्पताल को अपना भवन नहीं :
प्रशासनिक उपेक्षा व लापरवाही के कारण विगत 40 वर्ष पूर्व से ही प्रखंड मुख्यालय स्थित पशु अस्पताल का अपना भवन नहीं रहने के कारण किराए के मकान में चल रहा है। इतना ही नहीं अस्पताल के बगल में कूड़ा-कचड़ा का अंबार लगे रहने से दुर्गंध के कारण लोग यहां आने से कतराते हैं। अस्पताल की जर्जर स्थिति के चलते यहां नहीं आते पशुपालक। इसको लेकर कई बार स्थानीय जनप्रतिनिधियों व ग्रामीणों द्वारा लिखित रूप से विभाग को सूचित किया गया किन्तु फलाफल अबतक शून्य है।
संसाधनों की घोर कमी :
इस अस्पताल में पशु चिकित्सक का पद पिछले दस वर्ष से खाली है। काफी दिनों से दूसरे प्रखंड के चिकित्सक प्रभार में है। जो कभी कभार ही यहां नजर आते है तथा अन्य स्वास्थ्य कर्मी का पद वर्षों से रिक्त पड़ा हुआ है। यहां केवल एक चतुर्थवर्गीय कर्मी पदस्थापित है। काफी दिनों से दवा का घोर अभाव बना हुआ है। स्थानीय लोग बताते हैं कि पशुओं में होने वाले रोगों से बचाव क लिए टीकाकरण अभियान अथवा पशुगणना के समय ही सरकारी चिकित्सकों व कर्मियों का दर्शन हो पाता है। आए दिन दवा व चिकित्सक के अभाव में अस्पताल बंद ही पाए जाते हैं।
क्या कहते हैं लोग :
पशु पालक महेन्द्र मंडल, रामअवतार यादव, मनोहर महतो, जीबछ चौधरी, रामलोचन साह, रामवृक्ष राम सहित कई लोगों ने बताया कि पशु अस्पताल पिछले 40 वर्ष से किराए के भवन में चल रहा है। अस्पताल का अपना भवन नहीं है। किराए का मकान बिलकुल जर्जर हो ध्वस्त होने के कगार पर है। चिकित्सक व स्वास्थ्य कर्मी के अलावा दवा का घोर अभाव है। जिस कारण पशुपालक छोला छाप चिकित्सक से इलाज कराने को विवश हैं। अगर शीघ्र ही जर्जर पशु अस्पताल को ठीक कर चालू करने एवं प्रयाप्त मात्रा में दवा की उपलब्धता नहीं किया गया तो हम लोग मजबूर हो आंदोलन चलाने को बाध्य हो जाएंगे।
क्या कहते हैं अधिकारी :
इस बाबत बीडीओ शिवशंकर राय ने बताया कि कई बार पशु चिकित्सक, भवन व दवा के लिए विभाग को लिखा जा चुका है। परंतु समस्या जस की तस बनी हुई हैं। विभागीय पदाधिकारियों को चाहिए की पशु अस्पताल की समस्या का शीघ्र निदान करे। क्योंकि यहां के पशु पालकों को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।