नदी की प्रकृति को बदलना विनाशकारी : राजेन्द्र
झझारपुर (मधुबनी), संस : जल ही जीवन है। इसके विभिन्न श्रोतों के प्रकृति के स्वरूप को बदलने की कोशिश व
झझारपुर (मधुबनी), संस : जल ही जीवन है। इसके विभिन्न श्रोतों के प्रकृति के स्वरूप को बदलने की कोशिश विनाशलीला कर सकता है। हमें इसके प्रकृति में परिवर्तन लाना मंहगा साबित हो सकता है। यही कारण है कि नदियों की धाराओं को बाधे जाने से न केवल हमें बाढ़, सूखा जैसे आपदाओं से जूझना पड़ा है बल्कि ऐसे आपदाओं के कारण जीवन से भी हाथ धोना पड़ा है। यह बातें शुक्रवार को झझारपुर बाजार में स्थित जानकी विवाह भवन में नदी पुनर्जीवन अभियान के तहत आयोजित जल जनसभा को संबोधित करते हुए जल पुरुष के नाम से विख्यात मैग्सेसे पुरस्कार प्राप्त राजेन्द्र सिंह ने कही। जल जन जोड़ो अभियान व घोघरडीहा प्रखंड स्वराज्य विकास संघ जगतपुर के तत्वावधान में आयोजित इस सभा का संचालन संघ के अध्यक्ष रमेश कुमार ने की। जनसभा में पहुंचते ही अध्यक्षता कर रहे सत्यनारायण झा ने जल पुरुष राजेन्द्र सिंह व संघ के संस्थापक तपेश्वर सिंह को पाग व दोपटा पहना कर भव्य स्वागत किया। संबोधित करते हुए जल पुरुष ने उन्हें अपने घर और शरीर की सफाई के साथ ही अपने आसपास के विभिन्न जल श्रोतों की सफाई करने की बात कही। उनका कहना था कि नदी की धाराएं अविरल व निर्मल बहे। इसमें बदलाव लाना घातक परिणाम देता है। इसके लिए हमें लोगों को जागरुक बनाना है। जल संवाद यात्रा के संयाजक रमेश कुमार ने बताया कि जिस प्रकार लोक आस्था पर्व छठ आदि पूजा के अवसर पर हम जलाशयों कों स्वच्छ रखते हैं। उसी प्रकार इन जलाशयों नदी, नालों को हमेशा स्वच्छ रखने की आवश्यकता है।
सभा को पूर्व सासद रामदेव भंडारी, जिला पार्षद राघवेन्द्र लाल दास, विजय कुमार दास, वासदेव मंडल, जितेन्द्र कुमार, शैलेन्द्र कुमार कर्ण, अनूप कश्यप, उमेश कुमार यादव, सूर्यनारायण ठाकुर, अशोक कुमार, कामिनी देवी, प्रमिला देवी, चन्द्रकला देवी, मो. सादुल्लाह, विनोद मिश्र, श्रीदेव ठाकुर, रेणु देवी, विरेन्द्र कुमार शर्मा आदि ने भी संबोधित किया।